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रूखे-सूखे बाल हो सकते हैं थायराइड की निशानी, मह‍िलाएं इन बातों पर भी करें गौर

Updated Mar 28, 2018 | 18:47 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

थायराइड के मामले अब बहुत ज्‍यादा सामने आने लगे हैं। खासतौर पर मह‍िलाओं में यह समस्‍या ज्‍यादा सामने आ रही है -

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तस्वीर साभार:&nbspThinkstock

नई दिल्ली : थायराइड को एक साइलेंट हेल्‍थ प्रॉब्‍लम माना जाता है जो पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है। पूरे देश में थायराइड विकार का सबसे प्रचलित रूप है। एक ताजा रिपोर्ट में पता चला है कि लगभग 32 प्रतिशत भारतीयों में थायराइड के असामान्य स्तर पाए जाते हैं और वे विविध थायराइड रोगों से पीड़ित होते हैं, जैसे थायराइड नोड्यूल, हाइपरथायराइडिज्म, गॉयटर, थायराइडाइटिस और थायराइड कैंसर। 

वैसे एक रिपोर्ट से यह भी संकेत मिलता है कि सब क्लिनिकल हाइपोथायराइडिज्म असल में हाइपोथायरॉइडिज्म का एक हल्का रूप है। सब-क्लिनिकल हाइपोथायराइडिज्म का पता तब चलता है, जब किसी व्यक्ति में हाइपोथायरॉइडिज्म के हल्के लक्षण दिखते हैं, थायरॉइड-उत्तेजक हार्मोन (टीएसएच) का उच्च स्तर मिलता है और थायरॉक्सिन (टी4) का सामान्य स्तर मिलता है।

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हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि थायराइड रोग महिलाओं में अधिक होता है। इससे वजन और हार्मोन असंतुलन जैसी कई समस्याएं सामने आ सकती हैं। थायराइड हार्मोन और टीएसएच में वृद्धि के निर्धारण में आनुवंशिकी की एक प्रमुख भूमिका है। इससे ऑटोइम्यून थायराइड रोग का पता लगाना भी संभव हो जाता है। 

उन्होंने कहा - थायराइड समस्याओं के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को थायराइड असामान्यता का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, अपने परिवार के चिकित्सा इतिहास के बारे में जागरूक होना और पहले से सावधानी बरतना महत्वपूर्ण है। डॉ. अग्रवाल के अनुसार -  हाइपोथायराइडिज्म के कुछ सामान्य क्लिनिकल लक्षणों में डिप्रेशन और थकान, हाइपरलिपिडेमिया और हाइपर होमोसिस्टीनेमिया, गॉइटर, रूखे बाल, ठंड बर्दाश्त न कर पाना, कब्ज और वजन बढ़ना, सुनने में कठिनाई, मेनोरेगिया, ब्रेडिकार्डिया और कोरोनरी धमनी रोग या हृदय रोग आदि प्रमुख हैं।

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उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि लोगों के बीच थायराइड के कारण, लक्षण, उपचार और समस्याओं के परीक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा की जाए। यह महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इन रोगों का महिलाओं के लिए अधिक जोखिम है। गर्भवती महिलाओं या गर्भधारण की इच्छुक महिलाओं के लिए यह जरूरी है कि वे अपने थायराइड की जांच करा लें।

(न्‍यूज एजेंसी IANS के इनपुट के साथ )

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