नई दिल्ली: केरल के कोझीकोड में सरकार ने एक अज्ञात इन्फेक्शन के चलते हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। पाया गया कि यह रहस्यमय मौतें 'निपा वायरस' (NiV) के अटैक के कारण हो रही है, जिसकी वजह से अब तक आठ लोगों को अपनी जान गवानी पड़ी हैं। रविवार को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे ने तीन नमूनों में निपाह वायरस की उपस्थिति की पुष्टि की है।
निपा वायरस का इंफेक्शन कभी भी एक महामारी की तरह फैल सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, निपा वायरस (NiV) एक नई उभरती बीमारी है जो जानवरों और मनुष्यों दोनों में गंभीर बीमारी का कारण बनता है। निपा वायरस को 'निपा वायरस एन्सेफलाइटिस' भी कहा जाता है।
निपा वायरस (NiV) पहली बार 1998 में मलेशिया और सिंगापुर में पहचाना गया, जब यह सूअरों और मनुष्यों में बीमारी का काण बना।
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क्या होता है निपा वायरस (NiV)? कैसे फैलता है?
निपा वायरस, मनुष्यों और जानवरों में फैलने वाला एक गंभीर इंफेक्शन है। यह वायरस एन्सेफलाइटिस का कारण बनता है। निपा वायरस, हेंड्रा वायरस से संबंधित है, जो घोड़ों और मनुष्यों के वायरल सांस संक्रमण से संबन्धित होता है। यह इंफेक्शन फ्रूट बैट्स के जरिए लोगों में फैलता है। खजूर की खेती करने वाले लोग इस इंफेक्शन की चपेट में जल्दी आते हैं। 2004 में इस वायरस की वजह से बांग्लादेश में काफी लोग प्रभावित हुए थे।
निपा वायरस (NiV) के लक्षण?
मनुष्यों में निपा वायरस, encephalitis से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से ब्रेन में सूजन आ जाती है। बुखार, सिरदर्द, चक्कर, मानसिक भ्रम, कोमा और आखिर में मौत होना, इसके लक्षणों में शामिल हैं। 24-28 घंटे में यदि लक्षण बढ़ जाए तो इंसान को कोमा में जाना पड़ सकता है। कुछ केस में रोगी को सांस संबंधित समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है।
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निपा वायरस का इलाज?
मनुष्यों में, निपा वायरस ठीक करने का एक मात्र तरीका है सही देखभाल। रिबावायरिन नामक दवाई वायरस के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है। हालांकि, रिबावायरिन की नैदानिक प्रभावकारिता मानव परीक्षणों में आज तक अनिश्चित है। दुर्भाग्यवश, मनुष्यों या जानवरों के लिए कोई विशिष्ट एनआईवी उपचार या टीका नहीं है।
निपा वायरस के इंफेक्शन से कैसे बचें?
यह वायरस एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है। इसे रोकने के लिये संक्रमित रोगी से दूरी बनाए रखें। स्वास्थ्य कर्मियों को अस्पताल में निपा वायरस से बचने के लिए संक्रमित मरीजों की देखभाल करते समय या प्रयोगशाला के नमूनों को संभालने और जमा करते समय उचित सावधानी बरतनी चाहिये।
यही नहीं बीमार सूअरों और चमगादड़ों के संपर्क में आने से बचें।
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