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वर्ल्‍ड थैलासीमिया डे : थैलासीमिया से बचाना है तो मेडिकल चेकअप के बाद ही करें शादी, ये हैं इस बीमारी के लक्षण 

Updated May 07, 2019 | 15:25 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

8 मई को वर्ल्ड थैलासीमिया डे मनाने की पीछे सिर्फ एक कारण है कि लोगों को इस बीमारी से बचाया जा सकें। इस बीमारी से जागरुक होकर ही बचा जा सकता है। थैलासीमिया ब्लड से जुड़ी गंभीर जेनेटिक बीमारी है।

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World Thalassemia Day

थैलासीमिया ब्लड से संबंधित वो जेनेटिक बीमारी है, जिसमें रेड ब्लड सेल्स तेजी से नष्ट होने लगते हैं और नए बनते नहीं इससे ब्लड की कमी होने लगती है। इस रोग में रेड ब्लड सेल्स नहीं बनते हैं और जो थोड़े बनते हैं, वे जल्दी ही नष्ट हो जाते हैं। एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में रेड ब्लड सेल्स की संख्या 45 से 50 लाख प्रति घन मिली मीटर होती है। 

इन रेड ब्लड सेल्स का निर्माण लाल अस्थि मज्जा में होता है, लेकिन हीमोग्लोबिन की कमी के कारण शरीर में ऑक्सीजन भी सही तरीके से नहीं पहुंचता इस कारण से रेड ब्लड सेल्स अपना निर्माण नहीं कर पातीं। इस बीमारी के प्रति जागरुक न होने के कारण कई बार ये बीमारी कई जेनरेशन तक चलती रहती है और खास बात ये है कि अगर मां-बाप दोनों को ही थैलासीमिया हो तो बच्चे के लिए यह गंभीर स्थित हो जाती है।

हालांकि, टीकाकरण भी उपलब्ध है और आप अपने बच्चे को टीकाकरण कार्यक्रम में जांच करवा सकते हैं। थैलेसिमीया का आम उपचार बार बार ब्लड चढ़वाना होता है लेकिन ये भी बहुत सेफ नहीं क्योंकि बार बार ब्लड चढ़ने से ब्लड में आयरन की अधिकता हो जाती है जिसे आयरन ओवरलोड भी कहा जाता है। आयरन ओवरलोड की वजह हार्ट और लीवर पर बूरा असर पड़ता है ज्यादातर थैलेसीमिया के रोगियों की मौत हार्ट और लीवर के फेल होने की वजह से होती है। थैलासीमिया रोगियों में ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डी की समस्याएं बहुत आम हैं।

थैलासीमिया​ के लक्षण क्या हैं ?

  • बच्चों के नाख़ून और जीभ पीला दिखने लगता है।
  • बच्चे के जबड़े या गाल असामान्य नजर आने लगते हैं।
  • बच्चे की ग्रोथ रुक जाती है। वेट भी नहीं बढ़ता। कमजोरी और कुपोषण सा नजर आता है।
  • सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।
  • जन्म के छह महीने बाद ही बच्चों में ये लक्षण तेजी से दिखने लगते हैं।

कैसे बचें इस गंभीर रोग से

1-इस रोग से बचने का सबसे पहला तरीका यह है कि जब भी किसी लड़का या लड़की की शादी करें तो उनकी कुंडली मिलान के साथ मेडिकल चेकअप भी कराएं। ताकि कोई भी जेनेटिक बीमारी होने पर उस शादी को वही रोक देना बेहतर होगा। इससे आने वाली जेनरेशन पर कोई अनुवांशिक बीमारी जैसे थैलेसिमिया आदि का खतरा न हो।

2- अब बात उनकी जिन्हें थैलेसिमिया हैं। इनके लिए जीन एडिटिंग तकनीक में बीटा थैलेसिमिया के उपचार की संभावना होती है। इससे भ्रूण के विकास के शुरुआती चरण में विभिन्न आनुवांशिक बीमारियों का इलाज किया जाता है। अमेरिका के कारनेग मेलन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पेप्टाइड न्यूक्लिक एसिड (पीएनए) आधारित जीन एडिटिंग तकनीकी का इस्तेमाल कर चूहों में बीटा थैलेसीमिया का सफलतापूर्वक इलाज किया है। लेकिन ये अभी इस बहुत शोध बाकी है।

तो याद रखें थैलेसिमिया से बचाव के लिए जागरुक होना सबसे ज्यादा जरूरी है। बीमारी होने को रोक देना ही इसका इलाज है।

डिस्क्लेमर: प्रस्तुत लेख में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जा सकता। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने अथवा अपनी डाइट में किसी तरह का बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।