नयी दिल्ली: जम्मू निवासी 52 वर्षीय कारोबारी की दिल की धड़कन संबंधी परेशानी का इलाज करने के लिए उनके दिल में 'कैप्सूल के आकार' (capsule-shaped pacemaker) का पेसमेकर लगाया गया है। ऑपरेशन के बाद राष्ट्रीय राजधानी के एक प्रमुख निजी अस्पताल ने बुधवार को दावा किया कि मरीज को लगाया गया यह पेसमेकर 'दुनिया का सबसे छोटा पेसमेकर' (World's smallest pacemaker) है।
डॉक्टरों ने एक बयान में बताया कि 52 वर्षीय सुभाष चंद्र शर्मा के दिल में लगाया गया 'कैप्सूल के आकार का यह पेसमेकर, सामान्य तौर पर इस्तेमाल होने वाले पेसमेकर की तुलना में 93 प्रतिशत तक छोटा होता है और इसमें बेहद छोटा चीरा लगाने की जरूरत पड़ती है।'
बयान के मुताबिक, जम्मू के रहने वाले शर्मा ने अपने बच्चों के साथ खेलते समय अपनी दिल की धड़कनों में अचानक वृद्धि का अनुभव किया था, जिसके बाद उन्हें ऐसा लगा मानो उनकी आंखों के सामने अंधेरा छा गया हो। हालात की गंभीरता को भांपते हुए उन्होंने स्थानीय डॉक्टर से सलाह ली, और फिर डॉ सिंह से संपर्क किया।
इस स्थिति को 'ब्रैडिकार्डिया' कहा जाता है
बयान के मुताबिक, 'डॉ. सिंह ने उन्हें कुछ जांच कराने की सलाह दी। उससे पता चला की उनके हृदय की धड़कन धीमी और अनियमित है। इस स्थिति को 'ब्रैडिकार्डिया' कहा जाता है, जिसमें इंसान का दिल सामान्य से धीमी गति से धड़कता है। पेसमेकर की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है, जो धड़कन को सामान्य स्थिति में लाने के लिए दिल को इलेक्ट्रिक सिग्नल भेजता है।'
अत्याधुनिक पेसमेकर को पैर की नस के जरिए दिल के अंदर रखा जाता है
डॉ सिंह ने कहा, 'मैंने किसी भी तरह के जोखिम को कम करने के लिए शर्मा को पेसमेकर की सर्जरी कराने का सुझाव दिया, क्योंकि उनके रक्त में शर्करा की मात्रा और रक्तचाप काफी बढ़ा हुआ था।' उन्होंने कहा, 'मेरे कुछ मरीजों को पारंपरिक पेसमेकर से थोड़ी असुविधा महसूस हुई, जिसे मरीज के सीने में त्वचा के अंदर लगाया जाता है। इससे कभी-कभी संक्रमण होने का अंदेशा भी रहता है।
इस अत्याधुनिक पेसमेकर को पैर की नस के जरिए दिल के अंदर रखा जाता है, इसलिए मरीज के सीने में चीरा नहीं लगाया जाता है। इस तरह, त्वचा पर कोई निशान या गांठ नहीं बनती है।' डॉक्टरों की टीम के प्रवक्ता ने बताया कि सर्जरी 29 मई को हुई थी और इस छोटे पेसमेकर को लगाने की लागत औसतन 14 लाख रुपये आती है।