नई दिल्ली: तमिलनाडु के कोयम्बटूर की प्रसिद्ध कृषक पप्पम्मल उन 10 हस्तियों में शामिल हैं, जिन्हें 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 105 साल की बुजुर्ग महिला पप्पम्मल अभी भी सक्रिय है। वो भवानी नदी के किनारे स्थित गांव थेक्कमपट्टी में अपने खेत पर रहती है।
पप्पम्मल ऑर्गेनिक खेती करती हैं और अपने 2.5 एकड़ क्षेत्र में बाजरा, दाल और सब्जियां उगाती हैं। कृषि में योगदान देने के अलावा पप्पम्मल कृषि से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेती हैं।
1914 में तमिलनाडु के देवलपुरम गांव में जन्मी पप्पम्मल ने बहुत ही कम उम्र में अपने माता-पिता को खो दिया था और उनका पालन-पोषण कोयम्बटूर जिले के थेक्कमपट्टी में उनकी नानी ने किया। पिछली शताब्दी में पप्पम्मल ने दो विश्व युद्धों, भारत की स्वतंत्रता, कई प्राकृतिक आपदाओं और अब कोरोना वायरस महामारी को देखा है।
स्टोर और भोजनालय भी चलाती हैं
बहुत कम उम्र से ही पप्पम्मल कृषि के लिए उत्सुक थी और उन्होंने इसे सीखने में समय बिताया। लगभग 50 साल पहले अपनी नानी की मृत्यु के बाद उन्हें थेक्कमपट्टी में एक छोटा सा प्रोविजन स्टोर विरासत में मिला। उन्होंने इस प्रोविजन स्टोर के साथ स्नैक्स और पेय पदार्थ बेचने वाले एक छोटे भोजनालय की भी शुरुआत की।
लोगों के लिए हैं प्रेरणा
समय और उम्र की वजह से पप्पम्मल पूरे 10 एकड़ का प्रबंधन नहीं कर सकती थीं, इसलिए उन्होंने पच्चीस साल पहले इसका एक हिस्सा बेच दिया, लेकिन लगभग 2.5 एकड़ जमीन पर व्यवस्थित रूप से खेती करना जारी रखा। पप्पममाल उन लोगों के लिए उदाहरण और प्रेरणा है, जो 50 या 60 की उम्र में काम से छुट्टी लेना चाहते हैं। आज भी हर दिन यह दादी अपनी जमीन पर जाती है और वहां काम करती है। वह जैविक खेती की एक महान योद्धा बनी हुई है। वह कहती हैं कि युवा पीढ़ी केवल त्वरित परिणाम चाहती है और वास्तव में जैविक खेती में निवेश करने का समय नहीं है।