- केंद्र सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए किया 'श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' ट्रस्ट का गठन
- हिन्दू पक्षों की ओर से अग्रणी अधिवक्ता के. पारासरण के दिल्ली स्थित घर में होगा कार्यालय
- 15 सदस्यीय एक स्वतंत्र ट्रस्ट में एक दलित सदस्य को भी दी गई है जगह
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए बुधवार को 15 सदस्यीय एक स्वतंत्र ट्रस्ट के गठन का ऐलान कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रीम कोर्ट की तीन महीने की समयसीमा खत्म होने से चार दिन पहले लोकसभा में संबंधित घोषणा की। ट्रस्ट का नाम 'श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र' होगा। ट्रस्ट में शामिल किए जाने वाले लोगों के नाम सामने आ गए हैं जिनमें ऐडवोकेट के पराशरण का नाम शामिल है।
ट्रस्ट में शामिल होने वाले सदस्य
1- जगतगुरु शंकराचार्य, ज्योतिषपीठाधीरेश्वर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज, प्रयागराज
2- जगतगुरु माधवाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नातीरथ जी महाराज, पेजावर मठ उडुपी
3- स्वामी गोविंददेव गिरी जी महाराज, पुणे
4- श्री विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा अयोध्या
5- एडवोकेट के पाराशरण
6- कामेश्वर चौपाल
7- निर्मोही अखाड़ा के धीरेंद्र दास
8- महंत धीरेंद्र दास निर्मोही अखाड़ा (अयोध्या)
इसके अलावा राज्य सरकार के अधीन भारतीय प्रशासनिक सेवा का एक सदस्य और अयोध्या के जिलाधिकारी भी पदेन ट्रस्टी होंगे। दो प्रमुख हिंदू नामित सदस्यों के नामों पर प्रतिनिधिमंडल के सदस्य बहुमत से फैसला लेंगे। एक हिंदू प्रतिनिधि को केंद्र सरकार मनोनीत करेगी, जो आईएएस सेवा में कार्यरत होगा और भारत सरकार में संयुक्त सचिव स्तर या उससे नीचे के रैंक का नहीं होगा। उक्त प्रतिनिधि पदेन होगा।
केंद्र सरकार ने नकद में दिया एक रुपया दान
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ को पहला दान मिल गया। केंद्र सरकार ने बुधवार को ट्रस्ट को एक रुपये का दान नकद में दिया ताकि ट्रस्ट अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का कार्य आरंभ कर सके। केंद्र सरकार की ओर से यह दान ट्रस्ट को गृह मंत्रालय में अवर सचिव डी. मुर्मू ने दिया।
यहां होगा ट्रस्ट का दफ्तर
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए गठित ट्रस्ट ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ का पंजीकृत कार्यालय जाने-माने वरिष्ठ अधिवक्ता एवं भारत के अटॉर्नी जनरल रहे के.पाराशरण के दिल्ली स्थित घर में होगा। पारासरन ने अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद मामले में हिन्दू पक्षों की ओर से पैरवी की थी। ट्रस्ट के पते का उल्लेख केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में किया गया है।
शीर्ष अदालत ने अयोध्या मामले का निपटारा करते हुए केंद्र को निर्देश दिया था कि हिन्दुओं के पवित्र शहर में नयी मस्जिद के निर्माण के लिए ‘प्रमुख’ जगह पर पांच एकड़ का एक वैकल्पिक प्लॉट दिया जाए। पीएम मोदी ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण और भविष्य में रामलला के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की भावना को ध्यान में रखते हुए सरकार ने अयोध्या कानून के तहत अधिगृहीत लगभग पूरी 67.70 एकड़ भूमि नए ट्रस्ट ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ को हस्तांतरित करने का निर्णय किया है।