- दिसंबर 1989 में आतंकियों ने गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी का अपहरण किया
- आतंकियों ने रूबिया की रिहाई के बदले अपने पांच साथियों को छोड़े जाने की मांग रखी
- तत्कालीन वीपी सिंह सरकार आतंकियों की मांग की आगे झुक गई और पांच आतंकियों को रिहा किया
नई दिल्ली : दिवंगत पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद के अपहरण मामले में 31 सालों से ज्यादा समय बाद टाडा की विशेष अदालत ने जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के चीफ यासिन मलिक सहित 10 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय हुए हैं। मलिक के अलावा जिन नौ लोगों के खिलाफ आरोप तय हुए हैं उनमें अली मोहम्मद मीर, मोहम्मद जमान मीर, इकबाल अहमद गांदरू, जावेद अहमद मीर उर्फ नलका, मोहम्मद रफीक पहलू उर्फ नाना जी उर्फ सलीम, मंजूर अहमद सोफी, वजाहत बशीर, मेहराजुद्दीन शेख और शौकत अहमद बक्शी के नाम शामिल हैं।
कोर्ट ने मोहम्मद जमान मीर एवं अली महोम्मद मीर के कोर्ट के समक्ष दिए गए बयानों के आधार पर माना कि मलिक सहित अन्य आरोपियों ने रूबिया का अपहरण करने एवं उसकी हत्या करने के इरादे से एक आपराधिक साजिश रची। सीबीआई ने टाडा कोर्ट के समक्ष अपने आरोप पत्र में करीब दो दर्जन आरोपियों के नाम शामिल किए थे। इनमें से मोहम्मद रफीक डार एवं मुश्ताक अहमद लोन की मौत हो चुकी है जबकि अन्य फरार हैं।
साजिश में इस्तेमाल हुई नीले रंग की कार
सीबीआई की चार्जशीट के मुताबिक दिसंबर 1989 के पहले सप्ताह में में इन आरोपियों ने आपराधिक साजिश रची। इन्होंने अलग-अलग जेलों में बंद अपने पांच साथियों को रिहाई सुनिश्चित कराई। आरोपपत्र के मुताबिक इन्होंने साजिश में एक आरोपी गुलाम मोहम्मद की नीले रंग की कार का इस्तेमाल किया और आठ दिसंबर 1989 को आरोपी मुश्ताक अहमद लोन के घर में जुटे। यहां पर इन्होंने रूबिया के अपहरण की साजिश रची। इन्होंने अस्पताल से नोगाम बॉयपास स्थित अपने घर लौटते समय रूबैया को अगवा करने की साजिश रची।
यासीन मलिक ने रूबिया की पहचान बताई
सीबीआई के मुताबिक बाद में ये आरोपी अस्पताल के गेट पर पहुंचे और छोटे-छोटे समूह में बंट गए। चार्जशीट के मुताबिक रूबिया की पहचान बताने के लिए आरोपी यासिन मलिक ने उसकी तरफ अंगुली उठाकर इशारा किया। रूबिया घर जाने के लिए जब मिनी बस में सवार हुईं तो बस में पहले से सवार आतंकियों ने उन्हें गन प्वांइट पर अगवा कर लिया। इसके बाद रूबिया को एक कार में अगवा कर तब तक बंधक बनाकर रखा गया जब तक कि अलग-अलग जेलों में बंद जेकेएलएफ के पांच आतंकवादी छोड़ नहीं दिए गए।
आतंकियों के आगे झुकी वीपी सिंह की सरकार
रूबिया के अगवा होने के बाद चंद घंटों के बाद जेकेएलएफ ने इसकी जिम्मेदारी ले ली। आतंकियों ने रूबिया को रिहा करने के लिए अपने पांच साथियों को छोड़ने का शर्त रखी थी। केंद्र में उस समय वीपी सिंह की सरकार थी। सरकार ने आतंकियों की बात मानते हुए उनके पांच साथियों को रिहा कर दिया। इसके बाद 13 दिसंबर को रूबिया को छोड़ दिया गया। रूबिया की रिहाई के बाद मुफ्ती सईद ने कहा कि एक पिता के रूप में वह खुश हूं लेकिन एक नेता के रूप में वह यही कहना चाहूंगे कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।