- बार काउंसिल की ओर से की गई थी लॉकडाउन राहत कोष की पहल
- 2 वकीलों ने दिया 1 रुपया जबकि 2 अन्य ने किया 10 रुपए का योगदान
- जज और कई वकीलों ने लाखों रुपए देकर जरूरतमंदों के लिए बढ़ाया मदद का हाथ
चेन्नई: संकट के समय में पीड़ितों के साथ ऐसा मजाक कम ही लोग करते हैं। ऐसे समय में जब राजस्थान के एक 67 वर्षीय किसान ने 50 लाख रुपए की अपनी जिंदगी भर की कमाई लोगों को खाना खिलाने के लिए दान कर दी तब चेन्नई से एक अजीब घटना सामने आई है जहां मद्रास हाईकोर्ट के दो वकीलों ने तमिलनाडु और पांडिचेरी बार काउंसिल के लॉकडाउन रिलीफ फंड में 1 रुपए का अनुदान दिया है, इसके अलावा दो अन्य वकीलों ने 10 रुपए का अनुदान भी दिया है।
ई ट्रांसफर के जरिए लॉकडाउन राहत कोष में जमा हुए इन पैसों को काउंसिल के बैंक अकाउंट में जमा किया जाना है। वैसे कुछ चुनिंदा वकीलों को छोड़कर अन्य लोगों ने अच्छा योगदान राहत कोष में दिया है और कुल मिलाकर 60 लाख रुपए से ज्यादा जमा किए हैं। इस योगदान की सराहना के लिए योगदान करने वाले लोगों को प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार बार काउंसिल ऑफ इंडिया के उपाध्यक्ष सीनियर एडवोकेट एस. प्रबाकरन का कहना है कि चार ऐसे वकीलों की भी पहचान की गई है जिनके रवैये को देखते हुए उन्हें भी प्रमाण पत्र दिया जाएगा।
गौरतलब है कि तमिलनाडु और पांडिचेरी बार काउंसिल की ओर से लॉकडाउन में जरूरतमंदो की मदद के लिए राहत कोष बनाया गया था जिसमें जस्टिस एस. एम. सुब्रमण्यम ने 2.5 लाख रुपए का योगदान देकर अन्य लोगों का हौसला बढ़ाने का काम किया। कई टॉप वकीलों ने 5 लाख रुपए का योगदान भी दिया है।
अनुदान देने वाले 216 लोगों में से 2 वकीलों ने 1 रुपए और 2 अन्य ने 10 रुपए दिए। एक व्यक्ति ने 101, दो ने 200 रुपए जबकि अन्य कई ने 500 रुपए की सहायता दी है। बार काउंसिल के एक सदस्य आर सी पॉल ने कहा कि यह तो पहल का मजाक उड़ाने वाली बात लगती है।
इस बीच आपको बता दें कि राजस्थान में एक किसान ने अपनी जिंदगी भर की बचत करके जोड़े गए 50 लाख रुपए को मजदूरों को खाना मुहैया कराने के लिए दान करके एक मिसाल कायम की है जिसे देखकर अन्य लोग भी मदद के लिए आगे आ रहे हैं।