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Plasma Therapy: मुंबई में प्लाज्मा थेरपी से इलाज कराने वाले कोरोना के पहले मरीज की हुई मौत

Updated May 01, 2020 | 09:09 IST

Plasma Therapy Patient Died: मुंबई में प्लाज्मा थैरैपी से जिस मरीज का इलाज किया गया था उसकी बुधवार को मौत हो गई। मुंबई के लीलावती अस्पताल ने खुद इसकी पुष्टि की है।

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तस्वीर साभार:&nbspAP
मुंबई में प्लाज्मा थेरपी वाले कोरोना के पहले मरीज की मौत
मुख्य बातें
  • मुंबई के जिस पहले कोरोना मरीज को प्लाज्मा थेरपी दी गई थी उसकी हुई मौत
  • 53 वर्षीय एक मरीज को 25 अप्रैल को लीलावती अस्पताल में भर्ती किया गया था
  • अस्पताल के सीईओ डॉक्टर वी. रविशंकर ने बताया कि मरीज को 200 एमएल प्लाज्मा चढ़ाया गया था

मुंबई: मुंबई के जिस पहले कोरोना मरीज का प्लाज्मा थैरेपी से इलाज किया गया था उसकी बुधवार रात मौत हो गई है। मुंबई के लीलावती अस्पताल के सीईओ डॉ. रविशंकर ने बताया कि  53 साल के जिस पहले पुरुष मरीज को प्लाज्मा थैरेपी दी गई थी उसकी 29 अप्रैल को मौत हो गई है। अस्पताल के मुताबिक मरीज को देरी से भर्ती कराया गया था जिस वजह से उसे निमोनिया हो गया और बाद में उसकी हालत बिगड़ती चले गई।

बुधवार रात हुई मौत

डॉ. रविशंकर ने बताया कि हालात बिगडने के बाद जब मरीज को लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो डॉक्टरों ने प्लाज्मा चढ़ाने का निर्णय लिया और मरीज पर 200 एमएमल प्लाज्मा चढ़ाया गया। डॉ. रविशंकर के मुताबिक, मरीज को एक और प्लाज्मा थैरेपी देनी थी लेकिन उसकी हालत बिगड़ती देख ऐसा संभव नहीं हो सका और बुधवार रात मरीज की मौत हो गई।

मंत्री जी का दावा

इससे पहले महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने दावा किया था कि राज्य में प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-19 रोगी के इलाज का पहला प्रयोग सफल हो गया है। मीडिया से बात करते हुए टोपे ने कहा, 'मुंबई के लीलावती अस्पताल में पहली प्लाज्मा थेरेपी सफल रही। हम मुंबई में ही बीवाईएल नायर अस्पताल में एक अन्य रोगी पर दूसरा प्रयोग कर रहे हैं। हमें उम्मीद है कि इसमें भी सफलता मिलेगी।'

स्वास्थ्य मंत्रालय ने दिया था ये बयान

 इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा था कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 के इलाज में प्लाज्मा थैरेपी पद्धति की प्रभावशीलता का पता लगाने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन शुरु किया है। लेकिन जबतक अध्ययन पूरा नहीं हो जाता और ठोस वैज्ञानिक सबूत नहीं मिल जाता तब तक इस थेरेपी का बस शोध या परीक्षण के लिए उपयोग किया जाए। इस पद्धति से स्वस्थ हो चुके कोविड-19 के मरीज से रक्त प्लाज्मा गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को चढ़ाया जाता है।

पुष्ट प्रमाण नहीं

 लव अग्रवाल ने नियमित संवाददाता सम्मेलन में बताया कि परीक्षण के दौर से गुजर रही प्लाजमा थैरेपी के बारे में अभी तक पुष्ट प्रमाण नहीं मिले हैं जिनके आधार पर यह दावा किया जा सके कि इस पद्धति से कोरोना वायरस संक्रमण का इलाज किया जा सकता है। उन्होंने कोरोना संक्रमण का प्लाज्मा थेरेपी से इलाज के दावों से उत्पन्न भ्रम के बारे में स्थिति को स्पष्ट करते हुये कहा कि ये दावे गलत हैं दावों और इस तरह की किसी पद्धति को अभी मान्यता नहीं दी गयी है।

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