Maharana Pratap Descendants: दिल्ली में आबकारी नीति में कथित घोटाले को लेकर सीबीआई की जांच के दायरे में आए दिल्ली के डिप्टी सीएम और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया को लेकर उनकी पार्टी ने अब जाति का कार्ड खेल दिया है। सबसे पहले आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने मनीष सिसोदिया को महाराणा प्रताप का वंशज बताया। दरअसल केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की ओर से मनीष सिसोदिया का नाम बदलने पर संजय सिंह ने कहा कि पहले उन्हें उनके खानदान का इतिहास पढ़ना चाहिए। उनके वंश के लोग अनुराग ठाकुर को माफ नहीं करेंगे।
वहीं बाद में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि मेरे पास बीजेपी का मैसेज आया है कि आप आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में आ जाओ, आपके खिलाफ सीबीआई और ईडी के सारे मामले बंद करवा देंगे। बीजेपी को मेरा जवाब है- 'मैं महाराणा प्रताप का वंशज हूं और राजपूत हूं। सिर कटा लूंगा लेकिन भ्रष्टाचारियों, षडयंत्रकारियों के सामने नहीं झुकूंगा। मेरे खिलाफ सारे मामले झूठे हैं। जो करना है कर लो।'
अब बात महाराणा प्रताप सिंह सिसोदिया की करें तो वह उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। उनका नाम इतिहास में वीरता, शौर्य, त्याग, पराक्रम और दृढ़ प्रण के लिए अमर है। उन्होंने मुगल बादशाह अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं की और कई सालों तक कड़ा संघर्ष किया। साथ ही महाराणा प्रताप सिंह ने मुगलों को भी कईं बार युद्ध में हराया और पूरे मुगल साम्राज्य को घुटनों पर ला दिया।
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महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच लड़ा गया हल्दी घाटी का युद्ध काफी चर्चित है। हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पास सिर्फ 20,000 सैनिक थे और अकबर के पास 85,000 सैनिक। बावजूद इसके महाराणा प्रताप ने हार नहीं मानी और स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते रहे। हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप जीते। उनका निधन 29 जनवरी 1597 को चावड़ में हुआ था। महाराणा प्रताप ने अपने जीवन में कुल 11 शादियां की थी। वहीं इस वंश के आखिरी शासक राणा महेंद्र सिंह थे।
बात अगर वर्तमान में महाराणा प्रताप के वंशज की करें तो वह हैं अरविंद सिंह मेवाड़। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मेवाड़ नरेश महाराणा अरविंद सिंह मेवाड़ सिसोदिया राजवंश के वंशज है। वह मेवाड़ राजवंश के 76वें संरक्षक हैं। अरविंद सिंह मेवाड़ का जन्म 13 दिसम्बर 1944 को हुआ था। ये भगवत सिंह के दूसरे बेटे और महेंद्र सिंह मेवाड़ के भाई है। ये वही सिसोदिया राजवंश हैं, जिसमें राणा कुम्भा, राणा सांगा और महराणा प्रताप जैसे महावीर हुए हैं। मान्यता है कि सिसोदिया क्षत्रिय भगवान राम के कनिष्ठ पुत्र लव के वंशज हैं।
मेवाड़ राजवंश के लोग अपने नाम के साथ सिसोदिया टाइटिल लगाते हैं। मेवाड़ से इस राजवंश से जुड़े लोग देश के अलग-अलग जगहों पर गए। वे आज भी अपने नाम के साथ सिसोदिया लगाते हैं।
महाराणा प्रताप के बाद मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश के शासक। (विकीपीडिया के मुताबिक)
- अमर सिंह प्रथम (1597–1620)
- करण सिंह द्वितीय (1620–1628)
- जगत सिंह प्रथम (1628–1652)
- राज सिंह प्रथम (1652–1680)
- जय सिंह (1680–1698)
- अमर सिंह द्वितीय (1698–1710)
- संग्राम सिंह द्वितीय (1710–1734)
- जगत सिंह द्वितीय (1734–1751)
- प्रताप सिंह द्वितीय (1751–1754)
- राज सिंह द्वितीय (1754–1762)
- अरी सिंह द्वितीय (1762–1772)
- हम्मीर सिंह द्वितीय (1772–1778)
- भीम सिंह (1778–1828)
- जवान सिंह (1828–1838)
- सरदार सिंह (1838–1842)
- स्वरूप सिंह (1842–1861)
- शम्भू सिंह (1861–1874)
- उदयपुर के सज्जन सिंह (1874–1884)
- फतेह सिंह (1884–1930)
- भूपाल सिंह (1930–1948)
- नाममात्र के शासक (महाराणा)
- भूपाल सिंह (1948–1955)
- भागवत सिंह (1955–1984)
- अरविंद सिंह और महेन्द्र सिंह (1984–वर्तमान)