- टेनी के बयान की क्लिप हुई वायरल
- बोले- कुत्ते भौंकते हैं, ये उनका स्वभाव
- "मैं ऐसे लोगों पर नहीं करता टिप्पणी"
Ajay Mishra Teni on Rakesh Tikait: किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union : BKU) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने जुबानी हमला किया है। उन्होंने कहा है कि टिकैत दो कौड़ी के आदमी हैं। चुनाव के समय तो उनकी जमानत तक जब्त हो गई है।
उन्होंने लखीमपुर खीरी में अपने समर्थकों के बीच कहा, "मान लीजिए हम लखनऊ जा रहे हैं। जाते वक्त तेज रफ्तार में गाड़ी होती है...सड़क पर कई बार कुत्ते भौंकते हैं। कई बार कुत्ते गाड़ी के पीछे दौड़ने लगते हैं। अब उनका (टिकैत) स्वभाव बन गया है। उसके लिए मैं कुछ नहीं कहूंगा। जिसका जैसा स्वरूप होता है, वह वैसा ही व्यवहार करता है। हमारा ऐसा स्वभाव नहीं है।"
बकौल टेनी, "जो चीज जब सामने आती है, तब मैं निश्चित तौर पर पूरा जवाब देता हूं। लेकिन आप लोगों ने मुझे बहुत ताकत दी है, इसलिए मुझे विश्वास आया है...मैं यही कहूंगा कि आप इसी तरह मुझे शक्ति देते रहिए। हम आपकी ताकत पर न जाने कितने टिकैत आएं...टिकैत जैसों को अच्छे से जानता हूं। वो दो कौड़ी का आदमी है। हमने देखा है।"
टिकैत को लेकर वह आगे बोले- ऐसा व्यक्ति किसी का विरोध करता है तो उसका कोई मतलब नहीं होता है। मैं ऐसे लोगों को जवाब तक नहीं देता हूं। इस तरह के लोगों को जवाब देने का कोई औचित्य नहीं होता है। लेकिन अब उसी से उनकी राजनीति और रोजी-रोटी चलती है...चलाएं। पर मैंने जीवन में अपने जीवन में कभी कोई गलत काम नहीं किया। हमेशा सही के लिए लड़ा हूं।
टेनी की ओर से टिकैत के लिए यह विवादित बोल ऐसे वक्त पर आए हैं, जब किसान नेता लखीमपुर खीरी में हुए हादसे में उनके बेटे की कथित संलिप्तता को लेकर उनके (टेनी) इस्तीफे की मांग पर अड़े हैं।
दरअसल, लखीमपुर खीरी के तिकोनिया कांड मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ की बर्खास्तगी समेत विभिन्न मांगों को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा की अगुवाई में किसानों ने गत बृहस्पतिवार को सुबह से राजापुर मंडी समिति परिसर में 75 घंटे लंबा धरना आयोजित किया था। इसमें राकेश टिकैत भी शामिल हुए थे।
टिकैत ने धरना प्रदर्शन के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि किसानों को न्याय दिलाने की लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि तिकोनिया कांड को लेकर ‘टेनी’ की बर्खास्तगी के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए कानून भी किसानों का एक बड़ा मुद्दा है।