- खेती से जुड़े तीन बिलों पर मचा बवाल, राज्यसभा में जारी है बहस
- आम आदमी पार्टी के मुखिया केजरीवाल ने किया विपक्ष से एकजुट रहने का आग्रह
- राज्यसभा में सरकार के पास भी नहीं है बहुमत, लेकिन पास होने की है उम्मीद
नई दिल्ली: लोकसभा में कृषि विधेयकों के पारित होने के बाद अब इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जा सकता है जहां किसी भी दल के पास पूर्ण बहुमत नहीं है। ऐसे में बीजेपी ने अन्य दलों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। केंद्र के लिए इन विधेयकों का राज्यसभा में पास कराना एक चुनौती हैं क्योंकि लोकसभा में इसके पारित होते ही एनडीए गठबंधन की सबसे पुरानी सहयोगी अकाली दल ने मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। इस बीच आम आदमी पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राज्यसभा में इन विधेयकों का विरोध करने का फैसला किया है। कांग्रेस, सपा, तेलंगाना राष्ट्र समिति, डीएमके, राजद समेत कई दल इसका विरोध कर रहे हैं।
केजरीवाल की अपील
केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा, 'आज पूरे देश के किसानों की नज़र राज्य सभा पर है। राज्य सभा में भाजपा अल्पमत में है। मेरी सभी ग़ैर भाजपा पार्टियों से अपील है कि सब मिलकर इन तीनों बिलों को हरायें, यही देश का किसान चाहता है।' एक अन्य ट्वीट में केजरीवाल ने कहा, 'द्र के तीनों विधेयक किसानों को बड़ी कंपनियों के हाथों शोषण के लिए छोड़ देंगे। मेरी सभी ग़ैर भाजपा पार्टियों से बिनती है कि राज्यसभा में एकजुट होकर इन विधेयकों का विरोध करें, सुनिश्चित करें कि आपके सभी MP मौजूद हों और वॉकआउट का ड्रामा ना करें। पूरे देश के किसान आपको देख रहे हैं।'
विरोध में कांग्रेस
राज्यसभा में इन विधेयकों पर आज चर्चा हो रही है। कांग्रेस लगातार इन विधेयकों का विरोध कर रही है। कांग्रेस सासंद प्रताप सिंह बाजवा ने चर्चा के दौरान कहा, 'ये जो बिल हैं उन्हें कांग्रेस पार्टी पूरी तरह से रिजेक्ट करती है। ये बिल हिंदुस्तान और विशेष तौर से पंजाब, हरियाणा और वेस्टर्न यूपी के जमींदारों के खिलाफ है। हम किसानों के इन डेथ वारंटों पर साइन करने के लिए किसी भी हाल में तैयार नहीं हैं।'
कृषि मंत्री ने बताया ऐतिहासिक
वहीं सरकार की तरफ पक्ष रखते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, 'ये दोनों बिल ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले हैं। इस बिल के माध्यम से किसान अपनी फसल किसी भी जगह पर मनचाही कीमत पर बेचने के लिए आजाद होगा। इन विधेयकों से किसानों को महंगी फसलें उगाने का अवसर मिलेगा। यह विधेयक इस बात का भी प्रावधान करते हैं कि बुआई के समय ही जो करार होगा उसमें ही कीमत का आश्वासन किसान को मिल जाए। किसान की संरक्षण हो सके और किसान की भूमि के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ न हो इसका प्रावधान भी इन विधेयकों में किया गया है।' भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने राज्यसभा में कहा, 'देश को जब आजादी मिली थी तब शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आय का अनुपात 2:1 था। आपकी पार्टी जो नीतियां लेकर आई दुर्भाग्य से आज आय का अनुपात 7:1 हो गया है। ये ग्रामीण आय क्यों कम हुई है इसका जबाव दो आप।'
सपा औऱ टीएमसी के सवाल
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने कहा, 'आपने कहा था कि किसानों की आय 2022 तक डबल हो जाएगी। पर अभी वर्तमान में जो रेट चल रहा है उसके हिसाब से किसान की आय 2028 तक डबल नहीं हो सकती। मैं भी बड़ी बातें कर सकता हूं।' सपा सांसद रामगोपाल वर्मा ने कहा, 'क्या यह उचित नहीं होगा पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी में कि देश की 7 फीसदी लोगों को रोजी-रोटी देने वाले सेक्टर के बारे में जब आप बिल लाएं तो विपक्ष के नेताओं से भी बात करें और देश के तमाम संगठनों से बात करें।' राज्यसभा में एनडीए के 110 सदस्य हैं और बहुमत का आंकड़ा 122 का है, ऐसे में बीजेपी अन्य दलों से संपर्क साधने में लगी है जिनमें एनसीपी जैसे दल भी शामिल हैं।