नई दिल्ली: पीएम मोदी के घर में जो अब्बास भाई (Abbas) पले बड़े हुए, वो फिलहाल ऑस्ट्रेलिया में है, वो गुजरात सरकार के फूड एंड सप्लाई डिपार्टमेंट में क्लास टू ऑफिसर थे और रिटायर हो चुके हैं, ऐसा मीडिया रिपोर्टों में बताया जा रहा है, गौर हो कि पीएम मोदी ने अपने ब्लॉग में अपने पिता के मित्र के पुत्र अब्बास का भी उल्लेख किया, जो उनके साथ उन्हीं के घर में रहते थे, पीएम मोदी ने कहा कि मां हीराबेन ने अब्बास को बेटे की तरह पाला था।
गौर हो कि 18 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन 100 साल की हो गईं सुबह-सुबह प्रधानमंत्री मोदी ने गांधीनगर जाकर मां का आशीर्वाद लिया और मां के साथ कुछ वक्त गुजारा था। पीएम मोदी ने अपनी मां को लेकर लिखे एक ब्लॉग में अब्बास नाम के एक शख्स का भी जिक्र किया था।
अब्बास भाई अब कहां हैं और क्या कर रहे हैं?
लोगों के जेहन में सवाल आ रहा होगा कि कौन है वो शख्स अब्बास और क्या है प्रधानमंत्री मोदी का उस अब्बास से रिश्ता? तो मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक बताया जा रहा है कि अब्बास इस समय ऑस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में अपने छोटे बेटे के पास रहते हैं। जानकारी के अनुसार अब्बास के दो बेटे हैं छोटा बेटा ऑस्ट्रेलिया तो बड़ा बेटा गुजरात के कासीम्पा विलेज में रहता है।
पीएम ने एक लेख के जरिए मां की यादों को दुनिया के सामने रखा था
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट narendramodi.in पर 'मां' शीर्षक से एक ब्लॉग लिखा था, ब्लॉग में पीएम मोदी ने ना सिर्फ मां से जुड़ी यादें साझा कीं, बल्कि अपने जीवन में मां के महत्व को भी समझाया। इसी ब्लॉग में उन्होंने अपने पिता के मित्र के पुत्र अब्बास का भी उल्लेख किया, जो उनके साथ रहता था। पीएम मोदी ने कहा कि मां हीराबेन ने अब्बास को बेटे की तरह ही पाला था।
'दोस्त की असमय मृत्यु के बाद पिताजी अब्बास को हमारे घर ही ले आए थे'
पीएम मोदी ने मां हीराबेन के साथ कई पुरानी तस्वीरें भी साझा की हैं...इन्हीं तस्वीरों में एक ऐसी तस्वीर है...जिसमें नरेंद्र मोदी को उनकी मां तिलक लगा रही है...एक तस्वीर तब की है जब नरेंद्र मोदी श्रीनगर के लालचौक पर मुरली मनोहर जोशी के साथ तिरंगा फहराकर वापस अहमदाबाद पहुंचे थे। ब्लॉग में मां से जुड़ी यादें बताते-बताते पीएम मोदी ने अब्बास नाम के शख्स का जिक्र किया। अब्बास के साथ मनाए ईद के बारे में भी पीएम मोदी ने लिखा कि मां हमेशा दूसरों को खुश देखकर खुश रहा करती हैं। घर में जगह भले कम हो लेकिन उनका दिल बहुत बड़ा है। हमारे घर से थोड़ी दूर पर एक गांव था जिसमें मेरे पिताजी के बहुत करीबी दोस्त रहा करते थे। उनका बेटा था अब्बास। दोस्त की असमय मृत्यु के बाद पिताजी अब्बास को हमारे घर ही ले आए थे। एक तरह से अब्बास हमारे घर में ही रहकर पढ़ा। हम सभी बच्चों की तरह मां अब्बास की भी बहुत देखभाल करती थीं। ईद पर मां, अब्बास के लिए उसकी पसंद के पकवान बनाती थीं। त्योहारों के समय आसपास के कुछ बच्चे हमारे यहां ही आकर खाना खाते थे। उन्हें भी मेरी मां के हाथ का बनाया खाना बहुत पसंद था।