- शुभेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था
- शुभेंदु अधिकारी टीएमसी के कद्दावर नेता हैं
- नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हुए आंदोलन का चेहरा रहे हैं
कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के असंतुष्ट कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी के ममता बनर्जी सरकार से इस्तीफे के बाद पार्टी में खलबली मच गई है। उन्हें मनाने की कवायद शुरू हो गई है। टीएमसी के सीनियर नेता अभिषेक बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को नाराज विधायक शुभेंदु अधिकारी से मुलाकात की, जिसके बाद पार्टी ने सभी मुद्दों को सुलझाने का दावा किया। उन्होंने ममता सरकार से इस्तीफा दिया था लेकिन टीएमसी कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता नहीं छोड़ी है।
सूत्रों के मुताबिक उत्तरी कोलकाता करीब दो घंटे तक बैठक चली। इस बैठक में पार्टी के सीनियर नेता सौगत रॉय और सुदीप बंदोपाध्याय भी मौजूद रहे। रॉय ने कहा कि बैठक अच्छे माहौल में हुई। सभी समस्याओं को सुलझा लिया गया है। मुद्दों को सुलझाने के लिए आमने-सामने बातचीत किए जाने की आवश्यकता थी इसलिए यह किया गया।
बीजेपी में शामिल होने की थी अटकलें
अधिकारी ने पार्टी नेतृत्व के साथ मतभेदों की वजह से ममता कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद यह कयास लगाया जाने लगा था कि वह बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। अधिकारी नंदीग्राम में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ हुए आंदोलन का चेहरा थे और इसी आंदोलन के बूते 2011 में ममता बनर्जी सत्ता में आई थीं।
इस्तीफा देने के बाद राजनीतिक बयान नहीं दिया
पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने एक रैली रैली को संबोधित था। हालांकि उन्होंने कोई राजनीतिक बयान नहीं दिया और आजादी के संघर्ष में अपने गृह जिले पूर्वी मेदिनीपुर के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि हम राष्ट्रवादी कार्यक्रम आयोजित करेंगे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ तामलुक की जनता के बलिदानों को याद करेंगे। हम हमारे संविधान के निर्माताओं को याद करेंगे जो जनता के लिए, जनता का, जनता द्वारा के सिद्धांत में विश्वास रखते थे।
ताम्रलिप्त जनकल्याण समिति के अध्यक्ष अधिकारी ने कहा था कि संगठन के बैनर तले दिसंबर में अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जाएंगे और तामलुक में 1942 के स्वतंत्रता संघर्ष को याद करेंगे। उन्होंने कहा कि हर साल की तरह संगठन तीन दिसंबर को स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस के जन्मस्थान पर उनकी जयंती मनाएगा और 17 दिसंबर को तामलुक में 1942 में बनी ताम्रलिप्त नेशनल गवर्नमेंट को याद किया जाएगा।
अधिकारी ने कहा था कि स्वतंत्रता सेनानी रंजीत बोयल की याद में रैली के आयोजन की तैयारियां लंबे समय से चल रही थीं और इनका उनके इस्तीफे से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि हम दिसंबर से अगले साल अगस्त तक कई कार्यक्रम आयोजित करेंगे। अधिकारी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि अंतिम निर्णय जनता लेगी।