नई दिल्ली : देश में हर साल दो दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य साल 1984 में भोपाल गैस त्रासदी में जान गंवाने वाले लोगों को याद करना है। इसके अलावा इस दिन वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के बारे में लोगों के बीच जागरूकता पैदा की जाती है। साथ ही देश में बढ़ते औद्योगिक प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों के बारे में लोगों को बताया जाता है।
भोपाल गैस त्रासदी में हजारों लोगों की जान गई
साल 1984 में दो दिसंबर की रात भोपाल में हुई गैस त्रासदी में हजारों लोगों की जान चली गई। भोपाल की यूसीआईएल फैक्टरी से मिथाइल गैस के हुए रिसाव ने हजारों लोगों को मौत की नीद सुला दिया। सरकारी आंकड़े के मुताबिक घटना के तुरंत बाद करीब 2259 लोगों की मौत होने का दावा किया गया। बाद में मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि इस हादसे में 3787 लोगों की जान गई।
दुनिया भर में हर साल 70 लाख लोगों की होती है मौत
भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के मुताबिक वायु प्रदूषण से दुनिया भर में हर साल करीब 70 लाख लोगों की मौत होती है। पोर्टल के अनुसार स्थिति इतनी दयनीय है कि दस में से नौ लोगों को सांस लेने के लिए शुद्ध हवा भी नहीं मिलती। वायु में मौजूद प्रदूषक हवा के जरिए शरीर में प्रवेश करते हैं और फेफड़े, मस्तिष्क एवं हृदय को नुकसान पहुंचाते हैं।
ओजोन परत में छेद के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार
ओजोन परत में छेद के लिए वायु प्रदूषण को ही जिम्मेदार बताया जाता है। कल, कारखानों एवं फैक्टरियों से निकलने वाला कार्बन उत्सर्जन वायु प्रदूषण के स्तर को दिनोंदिन बढ़ाता जा रहा है। इसकी वजह से जलवायु परिवर्तन की विभिन्न चुनौतियां दुनिया के सामने खड़ी हो गई हैं। जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण लाने के लिए दुनिया भर के देश वैश्विक उपाय कर रहे हैं।