छतरपुर: कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए देश और दुनिया में राजस्थान के भीलवाड़ा मॉडल की चर्चा है, मगर बुंदेलखंड में अपनाया गया छतरपुरी मॉडल छुपा रुस्तम है, क्योंकि यहां मार्च की शुरुआत में ही कोरोना से निपटने के पुख्ता इंतजामों की शुरुआत कर दी गई थी। अभी भी यहां पूरी सतर्कता बरती जा रही है और घर घर जाकर सर्वे हो रहा है। यही कारण है कि इस जिले में अब तक एक भी कोरोना संक्रमित नहीं मिला है। हालांकि यहां कई संदिग्ध मरीज मिले हैं, लेकिन अभी तक किसी को भी पॉजिटिव नहीं पाया गया है।
'छतरपुर जिले में कोई पॉजिटिव रिपोर्ट नहीं आई'
छतरपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ विजय पथोरिया के आधिकारिक बयान के अनुसार, छतरपुर जिले से अब तक 206 सैंपल जांच के लिए भेजे गए। इन सैंपलों में अभी तक कोई भी पॉजिटिव रिपोर्ट नहीं आई है। 174 सैंपल नेगेटिव आए हैं और 23 सैंपल रिजेक्ट किए गए हैं। जिले में अब तक 63,541 लोगों की मेडिकल जांच हो चुकी है और 19 लाख 90 हजार से ज्यादा लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड का छतरपुर वह जिला है जिसके अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल खजुराहो आता है।
यहां देश और दुनिया के पर्यटक यहां बड़ी संख्या में आते हैं। इस लिहाज से इस जिले पर खतरे कुछ ज्यादा ही थे, यही कारण रहा कि प्रशासन ने शुरुआत से ही कोरोना वायरस की रोकथाम के प्रयास तेज कर दिए थे। जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह ने आईएएनएस को बताया, छतरपुर की सीमाएं उत्तर प्रदेश सहित कई जिलों से स्पर्श करती है और यह जिला दूसरे जिलों के जुड़ने का संपर्क सेतु भी है। वहीं देशी-विदेशी पर्यटकों की भी आवाजाही होती है। इसके बावजूद यहां प्रशासन ने सख्ती शुरू से ही बढ़ा दी थी और देश के विभिन्न हिस्सों के साथ विदेशी पर्यटकों पर नजर रखी जा रही थी। लॉकडाउन का भी पालन कराया जा रहा है।
जिले में पहले से शुरू हो गई थीं तैयारियां
जिले की तैयारियों की बात करें, तो अंदाजा इसी से लग जाता है कि छह मार्च को खजुराहो से आए इटली के नौ पर्यटकों को यहां विशेष जांच के लिए रोका गया था। आशंका थी कि यह कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं और इन पर्यटकों को हवाई यात्रा करने से रोक दिया गया था। बाद में यह पर्यटक कोरोना वायरस संक्रमित नहीं निकले थे, मगर जिले में कोरोना से लड़ने की तैयारियां और चुस्त-दुरुस्त कर दी गई थी। एक तरफ जहां मार्च की शुरुआत से ही देशी-विदेशी पर्यटकों पर नजर रखी जा रही थी, वहीं 19 मार्च को जिले की सीमाओं पर सख्ती बढ़ा दी गई थी। बाहर से आने वालों की स्क्रीनिंग की जाने लगी थी। सीमाएं बाद में पूरी तरह सील कर दी गई।
छतरपुर जिले में जहां खजुराहो में बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं। वहीं यहां से हजारों लोग रोजगार की तलाश में हर साल पलायन भी करते हैं। देशव्यापी लॉकडाउन के बाद लगभग 25 हजार मजदूरों की छतरपुर जिले में वापसी हुई है। प्रशासन इनकी स्क्रीनिंग की है, इनको क्वारेंटीन किया किया गया है और इनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है। इसके साथ ही अब तक 19 लाख 90 हजार लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, रोजगार सहायक सचिव, आशा कार्यकर्ता , पटवारी व एएनएम लगातार घर-घर सर्वेक्षण कर रही हैं। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने का स्थानीय बोली बुंदेली में गांव में लोगों को परामर्श भी दे रहे है।
लॉकडाउन बगैर किसी सख्ती के सफल
वर्ष 1995 में राज्य प्रशासनिक परीक्षा के जरिए प्रशासनिक सेवा में प्रवेश करने वाले शीलेंद्र सिंह मानते है कि कोरोना के संक्रमण को रोकना बड़ी चुनौती है मगर इसमें आमजन का साथ भी जरुरी है। इस मामले में यहां के निवासियों का भरपूर साथ मिला है, तभी लॉकडाउन बगैर किसी सख्ती के सफल हो रहा है। स्थानीय लोग मदद भी खूब कर रहे है। वहीं लोगों को जरुरी सामान में कोई दिक्कत न आए इसके लिए भी आवश्यक कदम उठाए गए है। खजुराहों में पर्यटन के कारोबार से जुड़े अजय कश्यप भी मानते हैं, जिला प्रशासन ने समय रहते एहतियाती कदम उठाए। खजुराहो व राजनगर में कर्फ्यू लगा दिया गया।
वहीं, यहां आए घूमने आए और वापस ग्वालियर लौटे एक व्यक्ति के कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद इस बात की आशंका थी कि कहीं यहां भी किसी को कोरोना न हो। इस स्थिति में प्रशासन ने सख्त बरती, जिसके कारण कोरोना इस क्षेत्र में दस्तक नहीं दे पाया। भीलवाड़ा मॉडल की तो खूब चर्चा हो रही है, मगर वास्तव में तो छतरपुर का मॉडल छुपा रुस्तम है, जिसने अब तक तमाम आशंकाओं को नकारा है। ज्ञात हो कि छतरपुर के दो पड़ोसी जिलों टीकमगढ़ और सागर में कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए है। इस स्थिति में इस जिले क कोरोना से सुरक्षित रखना अब भी बड़ी चुनौती बना हुआ है।