- महाराष्ट्र में 18-44 आयु समूह की आबादी 6 करोड़, 12 करोड़ डोज की जरूरत
- पीएम नरेंद्र मोदी से टीकाकरण के मुद्दे पर बातचीत की
- राजनीतिक तौर पर हम एक दूसरे के साथ नहीं लेकिन हमारा रिश्ता नहीं टूटा है।
हर मुलाकात सियासी हो ये जरूरी नहीं लेकिन दो राजनीतिक शख्सियतों के बीच कोई सियासी बात ना हो यह भी संभव नहीं। दरअसल इसे लिखने और कहने के पीछे एक आधार है। महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने नई दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और ऐसा समझा जा रहा था कि उन्होंने टीकाकरण के मुद्दे को उठाया होगा। पीएम मोदी से मुलाकात के बाद जब मीडिया से मुखातिब हो रहे थे तो बताया कि महाराष्ट्र को कितने करोड़ वैक्सीन की जरूरत है, इसके साथ ही उन्होंने सियासी टिप्पणी की जिसके गहरे अर्थ हैं।
राजनीतिक तौर पर साथ नहीं लेकिन रिश्ता नहीं टूटा है
हम राजनीतिक रूप से एक साथ नहीं हो सकते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हमारा रिश्ता टूट गया है। 'मैं कोई नवाज शरीफ से नहीं मिलने गया था' (मैं नवाज शरीफ से मिलने नहीं गया था)। इसलिए अगर मैं उनसे (प्रधानमंत्री) अलग से व्यक्तिगत रूप से मिलूं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
18-44 के लिए 12 करोड़ टीके की जरूरत
हमें 18-44 साल के समूह में 6 करोड़ लोगों को दो बार टीका लगाने के लिए 12 करोड़ खुराक की आवश्यकता होगी। हमने कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं कर सके क्योंकि पर्याप्त और स्थिर आपूर्ति नहीं थी। वैक्सीन खरीद को केंद्रीकृत करने के लिए पीएम को धन्यवाद। मुझे उम्मीद है कि भारत में सभी को जल्द ही टीका लगाया जाएगा।
क्या कहते हैं जानकार
अब सवाल यह है कि उद्धव ठाकरे ने इस तरह का बयान क्यों दिया। इस मुद्दे पर जानकार कहते हैं कि दरअसल जिस तरह से महाविकास अघाड़ी सरकार के घटक दलों में जो कुछ चल रहा है उसे लेकर ठाकरे सहज नहीं है। बताया जाता है कि एक बार उन्होंने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार से कहा था कि कैबिनेट की बैठक में जिस तरह से एनसीपी के मंत्री व्यवहार करते हैं उसे देखकर नहीं लगता कि हम गठबंधन की सरकार चला रहे हैं। इसी तरह से कांग्रेस के नेता भी व्यवहार करते हैं।
इससे भी बड़ी बात यह है कि जब कभी उद्धव सरकार पर संकट के बादल मंडराए या विपक्ष के आरोपों के बीच सरकार घिरी को कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा हम ड्राइविंग सीट पर नहीं है। ये बात अलग है कि राजनीतिक तौर पर सभी दल आपासी मनमुटावों का खंडन करते रहे हैं। लेकिन जमीनी तौर पर एमवीए के सभी दलों में वैचारिक विरोध बना रहता है।