- भारतीय वैज्ञानिक राम उपाध्याय का दावा देश में छह महीने के भीतर आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर
- तब तक कुल वयस्कों की आबादी (88 करोड़) में से 17 से 27 करोड़ वयस्कों को तब तक टीका लग चुका होगा
- वैज्ञानिक ने बताया कि नए स्ट्रैन का आना और उसका फैलना ज्यादातर वैज्ञानिक भविष्यवाणियों को गलत साबित कर देता है
लखनऊ : कोरोना की तीसरी लहर को लेकर लोग अनुमान लगा रहे हैं कि यह सितम्बर महीने तक आ सकती है। हालांकि, स्वीडन के निवासी और कोरोना मामले में काम कर रहे भारतीय वैज्ञानिक राम उपाध्याय ने दावा किया है कि भारत में पहली और दूसरी लहर के बीच का अंतराल लगभग 6 महीने रहा है। यदि कोई नया वैरियंट नहीं मिलता है, तो कोरोना वायरस की तीसरी लहर तीन से छह महीने के अंदर आने की संभावना है। हालांकि तब तक भारत एक अच्छे स्थान पर होगा क्योंकि टीकाकरण की वर्तमान रफ्तार के हिसाब से भी 20 से 30 प्रतिशत लोगों के टीका लग चुका है। टीकाकरण की रफ्तार से यह तीसरी लहर की संभावना और कम होगी।
तब तक 27 करोड़ वयस्कों को लग चुका होगा टीका
आईएएनएस से विशेष बातचीत में वैज्ञानिक राम उपाध्याय ने कहा कि भारत में कुल वयस्कों की आबादी (88 करोड़) में से 17 से 27 करोड़ वयस्कों को तब तक टीका लग चुका होगा। इसके अलावा लगभग 2.6 करोड़ जो अब तक कोरोना की गिरफ्त में आ चुके हैं । इसमे भी लगभग 2.07 करोड़ जो दूसरी लहर में प्रभावित हुए हैं, उनमें लगभग 6 माह में प्रतिरोधक क्षमता बने रहने की संभावना है। जो लोग पहली लहर में कोरोना पाजिटिव हुए थे, उनकी एंटी बॉडीज तीसरी लहर आते-आते समाप्त होने की संभावना होगी।
20 से 30 करोड़ लोगों में एंटी-बॉडीज रहेगी
उन्होंने बताया कि पहली लहर में जहां 0.56 करोड़ लोग कोरोना पाजिटिव हुए थे, दूसरी लहर में यह संख्या 4 से 5 गुना अधिक रही है। इसलिए अगर हम पहली लहर से प्रभावित लोगों को हटा भी देते हैं तब भी अब से 6 माह बाद लगभग 20 से 30 करोड़ लोगों में एंटी-बॉडीज रहेंगी। अत: यदि कोई नया स्ट्रैन नहीं सामने आता है तो यह माना जा सकता है कि तीसरी लहर या तो दूसरी लहर जैसी ही रहेगी या फिर उससे हल्की रहेगी। आगे आने वाले समय में इसी तरह से कई छोटी छोटी लहर होंगी और अंतत: महामारी थमेगी।
भारत में हर्ड इम्यूनिटी प्राप्त करना एक कठिन टास्क
उनका मानना है कि जैसे वायरस का अलग-अलग म्यूटेसन करने का स्वभाव है और जो टीकाकरण है वो कम अवधि के लिए एंटी बॉडीज पैदा करता है, ऐसे में हर्ड इम्यूनिटी भारत में प्राप्त करना एक कठिन टास्क है। इसलिए सबसे महत्तपूर्ण है कि हम आपस में दूरी बनाना, मास्क पहनना और सफाई को अपनी आदत बना लें।
इंग्लैंड में तीसरी लहर की शुरुआत
वैज्ञानिक ने बताया कि नए स्ट्रैन का आना और उसका फैलना ज्यादातर वैज्ञानिक भविष्यवाणियों को गलत साबित कर देता है। ऐसा माना जा रहा है कि तीसरी लहर की शुरूआत इंग्लैंड में उसी स्ट्रैन से हो गई है जो कि भारत में भी मिला था। तीसरी लहर इंग्लैंड में किस तरह से व्यवहार करती है, यह देखना रुचिकर होगा क्योंकि वहां पर 40 प्रतिशत लोगों को टीके के दोनों खुराक लग गई है जबकि 60 प्रतिशत लोगों को एक खुराक टीके की लग गई है। इंग्लैंड में तीसरी लहर कैसा प्रभाव छोड़ती है उसके आधार पर भारत न सिर्फ तीसरी लहर को रोकने के लिए अपनी योजना बना सकता है बल्कि तैयारी कर सकता है।
तीसरी लहर में बच्चों पर खतरा
भारत में एक बात सामने आ रही है कि तीसरी लहर बच्चों को ज्यादा प्रभावित करेगी, उस पर प्रो राम कहते हैं कि एक बात साफ समझनी होगी कि कोविड 19 किसी को भी संक्रमित कर सकता है। चूंकि भारत में ज्यादा संख्या में लोग कोविड 19 पाजिटिव हुए हैं, इस करण से बच्चों के पाजिटिव होने की संख्या में भी इजाफा हुआ है। हांलांकि ऐसा नहीं देखने को मिला है की बच्चों के पाजिटिव होने की संख्या अनुपात से अधिक बड़ी है।
दुनिया भर में बच्चों में सक्रमण हल्का रहा है
दूसरी लहर में वैसे भी पूरे पूरे घर में पाजिटिव केसेज आए हैं जो की पहली लहर में नहीं था। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में बच्चों में कोविड से अधिक बीमार होने के ऐसे केसेज कम मिले हैं जहां बच्चों को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा हो। भारत और पूरे विश्व से इकट्ठा किये गए डाटा के मुताबिक भी बच्चों में संक्रमण हल्का ही रहा है। कुल प्रभावित बच्चों में 60 से 70 प्रतिशत बच्चों को कोविड के कोई लक्षण सामने नहीं आए हैं और उन बच्चों में जिनमे कोविड के कोई लक्षण दिखे हैं उसमे भी केवल 1 से 2 प्रतिशत बच्चों को आईसीयू में इलाज की जरूरत पड़ी है।
गांव में तीसरी लहर में ज्यादा खतरा
नई रिसर्च में ये साबित हो गया है कि बच्चे वायरस को बड़ों के मुकाबले कम फैलाते हैं। बच्चे के शरीर मे टी कोशिकाएँ प्रतिरोधक सिस्टम का एक अंग होती है जो की शरीर में जीवन काल में आ रहे किसी भी वायरस को पहचानने का काम करती हैं। खास बात यह भी है कि अध्ययन से भी यह भी साबित हो गया है कि बच्चों में वायरस वयस्कों की तुलना में कम जाता है क्योंकि उनकी नाक में एसीई2 रीसेप्टर, जो की वायरस इस्तेमाल करता है, अंदर आने के लिए, कम मात्रा में होता है। टीकाकरण अभियान कमजोर होने की वजह से गांव में तीसरी लहर में ज्यादा खतरा होगा। दूसरी लहर से सीख लेकर भारत में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्च र ठीक करने की जरूरत है। राम उपाध्याय हैदराबाद स्थित लैक्साई लाइफ साइंसेज प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) और अमेरिका के ओम ओंकोलॉजी के मुख्य वैज्ञानिक हैं। उपाध्याय मूलत: आगरा के रहने वाले हैं और अमेरिका, यूरोप व स्कैंडिनेवियन देशों में कंपनी के विस्तार के लिए वर्तमान में स्वीडन में रह रहे हैं।