- भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है।
- 28 सितंबर को छत्तीसगढ़ में किसान महापंचायत होगी।
- मुजफ्फरनगर किसान-मजदूर महापंचायत ऐतिहासिक सफलता बन गई।
बीते रविवार को यूपी के मुजफ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत के बाद किसानों की अगली पंचायत हरियाणा के करनाल में मंगलवार 7 सितंबर को आयोजित की गई है। बीते 28 अगस्त को किसानों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद घायल हुए किसानों को मुआवजा देने और मौके पर मौजूद एसडीएम आयुष सिन्हा पर मुकदमा दर्ज करने की मांग को लेकर किसान इस पंचायत का आयोजन कर रहे है।
इधर पंचायत को लेकर प्रशासन के तरफ से एहतियात के तौर पर उठाए गए कदम को लेकर भी किसान सरकार पर पंचायत को रोकने के लिए इंटरनेट बंद करने और रास्ते जाम करने जैसे आरोप भी लगा रहे है। पर हाल के घटनाक्रम पर नजर करे तो बीते 9 महीने से ज्यादा वक्त से दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे किसानों का आंदोलन धीरे-धीरे ही सही पर सियासी रंग ले रहा है। रविवार को मुजफ्फरनगर में हुई पंचयात में बिल रद्द करने की मांग से ज्यादा आने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी हराओ की मांग ज्यादा दिखी। बीते एक साल से ज्यादा का वक्त इस कृषि कानूनों को पास हुए हो चुका सरकार लगातार दावा करती रही कि इससे किसानों को न केवल फायदा हुआ है बल्कि सरकार की अबतक की सबसे ज्यादा MSP पर खरीदारी भी की गई है।
पर अब किसानों की पंचयातो में इनके मेरीट पर बात कम बल्कि बिल को लाने वाली मोदी सरकार का विरोध और आने वाले विधानसभा चुनावों में बीजेपी को कैसे हराया जाए, इन बातों पर चर्चा ज्यादा होती रही है। मंगलवार के करनाल पंचायत के मुद्दों पर भी नजर डाले तो किसानों के मुद्दे गौड़ हो गए है। सबसे प्रमुख मुद्दों में शामिल है। भाजपा और सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी है। 28 सितंबर को छत्तीसगढ़ में किसान महापंचायत होगी।
एसकेएम द्वारा आयोजित मुजफ्फरनगर किसान-मजदूर महापंचायत एक ऐतिहासिक सफलता बन गई। इस महापंचायत से अब किसानों ने किसान-विरोधी मजदूर-विरोधी मोदी सरकार को खुलकर चुनौती दी है। एसकेएम द्वारा शुरू किया गया मिशन उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड दोनों राज्यों में किसान आंदोलन को आगे बढ़ाएगा और आगामी चुनावों में भाजपा को हराएगा।
किसानों ने आंदोलन की मशाल को पूरे देश में ले जाने और किसानों को उनका हक मिलने तक इस आंदोलन को जारी रखने का संकल्प लिया। करनाल किसान पंचायत को लेकर भी किसानों ने जो मांगे रखी है ओ ही इन्हीं के इर्दगिर्द है। गौरतलब है कि बीते 28 अगस्त को किसानों और प्रशासन के झड़प में घायल किसान सुशील काजल की मौत हो गई थी।
जिसके बाद किसानों ने हरियाणा सरकार के मौके पर तैनात एसडीएम और अन्य अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अल्टीमेटम जारी किया था। किसानों ने मांग की थी कि अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए और एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए, साथ ही शहीद काजल के परिवार को 25 लाख रुपये और राज्य हिंसा में घायल हुए किसानों को 2-2 लाख रुपए का मुआवजा दिया जाए। अल्टीमेटम की समय सीमा आज यानी 6 सितंबर तक थी, जिसके बाद किसानों ने लघु सचिवालय का घेराव करने की चेतावनी दी थी।