कोलकाता : पश्चिम बंगाल में इस साल अप्रैल-मई में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तृणमूल कांग्रेस के नेताओं में एक तरह की भगदड़ देखी जा रही है। पार्टी के कई नेता तृणमूल कांग्रेस छोड़ बीजेपी से जुड़ गए हैं और यह सलिसिला लगातार जारी है। राज्य में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार में परिवहन मंत्री रहे शुभेंदु अधिकारी के बाद अब बंगाल के युवा और खेल मामलों के राज्य मंत्री लक्ष्मी रतन शुक्ला ने भी सरकार से इस्तीफा दे दिया है। मंत्री पद से उनके इस्तीफे के बाद राज्य में सियासत गर्म हो गई है और इसे लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं।
शुक्ला के इस्तीफे पर टीएमसी ने क्या कहा?
शुक्ला ने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भेजा था, जिसमें उन्होंने 'राजनीति छोड़ने' की बात कही है। उन्होंने यह भी कहा कि वह बतौर विधायक अपना अपना कार्यकाल समाप्त होने तक सेवा देते रहेंगे। सीएम ने इसे राज्यपाल जगदीप धनखड़ को भेज दिया, जिसे उन्होंने तत्काल प्रभाव से स्वीकार कर लिया। टीमसी ने शुक्ला के इस्तीफे को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया है, पर इससे इनकार किया कि उनके बीच किसी तरह की गलतफमी है। खुद सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि वह खेल पर अधिक ध्यान देना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने 'राजनीति से संन्यास' लेने की इच्छा जताई और पार्टी में सभी जिम्मेदारियों से मुक्त करने के लिए कहा। टीएमसी ने यह भी कहा कि शुक्ला और पार्टी के बीच किसी तरह की गलतफहमी नहीं है।
हालांकि शुक्ला का इस्तीफा ऐसे समय में आया है कि इस पर सवाल उठने लगे हैं। शुक्ला के इस्तीफे को लेकर टीएमसी की इस दलील के बावजूद कि अपने इस्तीफे में उन्होंने मंत्री पद से नहीं, बल्कि राजनीति से संन्यास लेने की इच्छा जताई है, ताकि वह अपनी रुचि के विषय पर अधिक ध्यान दे सकें, विपक्ष ने इसे लेकर ममता सरकार को घेरा है। कांग्रेस का जहां कहना है कि तृणमूल कांग्रेस बिखरती जा रही है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसे रोक पाने में नाकाम हैं, वहीं सीपीएम ने सवाल उठाए कि आखिर ममता सरकार से मंत्रियों के इस्तीफे क्यों हो रहे हैं? यहां गौरतलब है कि इससे पहले पार्टी के कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी ने भी सरकार से इस्तीफा दे दिया था और फिर पार्टी छोड़ करीब एक पखवाड़े पहले ही बीजेपी से जुड़ गए थे।
बीते कुछ समय में कई नेताओं ने छोड़ी है पार्टी
शुभेंदु अधिकारी के साथ-साथ टीएमसी के कई विधायकों ने भी बीते कुछ दिनों में पार्टी छोड़ी है, जिनमें शीलभद्र दत्ता, बिश्वजीत कुंडू, दीपाली बिश्वास और शुकरा मुंडा शामिल हैं। ये इस्तीफे ऐसे समय में हुए हैं, जबकि अप्रैल-मई में राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और बीजेपी ने राज्य में पूरी ताकत झोंक रखी है। अब, बंगाल की रणजी टीम के पूर्व कप्तान और हावड़ा (उत्तर) के विधायक शुक्ला (39) के मंत्री पद से इस्तीफे के बाद भी कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। बीजेपी का कहना है कि अगर शुक्ला उनसे जुड़ते हैं तो उनका स्वागत किया जाएगा। बीजेपी प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि टीएमसी की कोई विचारधारा ही नहीं है। यह सीपीएम के विरोध में बनी थी और इसकी अहमियत खत्म हो गई है।
इस बीच टीएमसी में शुक्ला के करीबी सूत्रों का यह भी कहना है कि वह पार्टी के साथी नेताओं के व्यवहार से निराश थे। बीते कुछ समय से वह पार्टी के सहयोगियों के व्यवहार से खुश नहीं थे। मंत्री के तौर पर उन्हें ठीक से काम नहीं करने दिया गया। बीते कुछ समय में ममता कैबिनेट से मंत्रियों के इस्तीफे और पार्टी से दिग्गज नेताओं की रूखसती के बीच कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले चुनाव में इससे टीएमसी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इस्तीफे आने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर पार्टी के नताओं में एक तरह की बेचैनी को भी दर्शाते हैं। हालांकि इनका चुनावों पर क्या असर होगा, इस बारे में ठीक-ठीक पता तो चुनाव संपन्न होने और परिणामों की घोषणा के बाद भी सामने आएगा।