- UP BJP के जरिए सियासत में एंट्री ले सकते हैं 'शर्मा जी'
- गुजरात कैडर के आईएएस रहे एके शर्मा रहे हैं पीएम मोदी के बेहद करीबी ऑफिसर
- एक शर्मा को लेकर कयासों का बाजार गर्म, विधान परिषद भेजे जाने की चर्चा
लखनऊ: गुजरात कैडर के एक पूर्व आईएएस अधिकारी, एके शर्मा, जिन्होंने हाल ही में केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय के सचिव पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ली थी, वह आज बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं। पीएम मोदी के करीबी अधिकारियों में शामिल एके शर्मा को विधान परिषद के जरिए उत्तर प्रदेश की राजनीति में भेजा जा सकता है। आपको बता दें कि 28 जनवरी को होने वाले एमएलसी (विधान परिषद) चुनाव के लिए 12 सीटें निर्धारित हैं।
पहले भी कई नौकरशाह थाम चुके हैं बीजेपी का दामन
यह पहला मौका नहीं होगा जब किसी नौकरशाह ने बीजेपी का दामन थामा हो, इससे पहले भी कई ऑफिसर नौकरी से इस्तीफा देने के बाद बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स पर गौर करें तो अरविंद कुमार शर्मा को बीजेपी यूपी में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती हैं। गुजरात कैडर के ऑफिसर अरविंद कुमार शर्मा की नौकरी के अभी दो साल बचे हुए थे और अचानक ही उन्होंने वीआरएस ले लिया, ऐसे में ये तो तय है कि बीजेपी ने उनके लिए कोई बड़ी भूमिका तैयार कर रखी हो।
कौन हैं अरविंद कुमार शर्मा
अरविंद कुमार शर्मा 1988 बैच के गुजरात कैडर के आईआएएस हैं। वह पीएम मोदी के साथ तब से काम कर रहे थे जब मोदी गुजरात के सीएम थे। 2001 से लेकर 2013 तक उन्होंने पीएम मोदी के साथ गुजरात में काम किया। इसके बाद जब मोदी पीएम बने तो अरविंद कुमार शर्मा को भी पीएमओ लेकर आ गए। 2014 में वह पीएमओ यानी प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव रहे और बाद में प्रमोशन मिला तो सचिव बन गए।
यूपी के मऊ से रखते हैं ताल्लुक
भूमिहार समुदाय से ताल्लुक रखने वाले शर्मा जी यूपी के मऊ जिले से आते हैं। कोरोना महामारी के दौरान के दौरान जब लघु और मझौले उद्योगों की हालत काफी खराब हो गई थी तो उन्हें इस सेक्टर के संकट को दूर करने के लिए एमएसएमई मंत्रालय के सचिव पद की जिम्मेदारी दी गई थी।
मिल सकती है ये जिम्मेदारी
अरविंद कुमार शर्मा को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि बीजेपी उन्हें बड़ी जिम्मदारी दे सकती हैं। ये जिम्मेदारी केंद्र से लेकर राज्य तक कहीं भी हो सकती हैं। वहीं कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का मानना है कि उन्हें किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश का राज्यपाल भी बनाया जा सकता है, जो फिलहाल की परिस्थितियों में संभव नहीं लग रहा है।