- अग्निपथ योजना को लेकर प्रशांत किशोर का जेडीयू-बीजेपी पर तंज
- जेडीयू-बीजेपी की आपसी तनातनी का खामियाजा भुगत रही है बिहार की जनता- पीके
- अग्निपथ पर आंदोलन होना चाहिए, हिंसा और तोड़फोड़ नहीं- पीके
Agnipath Scheme Protest: चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने रविवार को बिहार में दो सत्तारूढ़ सहयोगी जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि दोनों पार्टियां लड़ाई में व्यस्त हैं, जबकि राज्य जल रहा है। पीके ने हिंदी में ट्वीट कर कहा कि अग्निपथ पर आंदोलन होना चाहिए, हिंसा और तोड़फोड़ नहीं। पीके ने कहा कि बिहार के लोग जेडीयू और बीजेपी के बीच तनातनी का खामियाजा भुगत रहे हैं। बिहार जल रहा है और दोनों पार्टियों के नेता मामले को सुलझाने की बजाए एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने में लगे हैं।
जेडीयू-बीजेपी की आपसी तनातनी का खामियाजा भुगत रही है बिहार की जनता- पीके
एक दिन पहले शनिवार को बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि राज्य में हिंसक विरोध को रोकने के लिए उसका प्रयास अपर्याप्त था। अग्निपथ विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके घर में तोड़फोड़ करने के बाद उनकी ये टिप्पणी आई। जायसवाल ने राज्य में बीजेपी नेताओं पर टारगेट हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए गठबंधन सरकार पर हमला किया। जायसवाल ने संवाददाताओं से कहा कि जब प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को बेतिया जिले में मेरे घर पर हमला किया, तो हमने फायर बिग्रेड को बुलाया।
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प्रदर्शनकारियों ने बिहार की उपमुख्यमंत्री के घर और बीजेपी के कई दफ्तरो में की तोड़फोड़
प्रदर्शनकारियों ने 17 जून को बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी के घर और बीजेपी के कई दफ्तरों में भी तोड़फोड़ की थी। जायसवाल ने कहा कि हम सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन ऐसा कुछ देश में कहीं नहीं हुआ है। ऐसा सिर्फ बिहार में हो रहा है। बीजेपी का एक नेता होने के नाते मैं इस घटना की निंदा करता हूं और अगर इसे नहीं रोका गया तो ये किसी के लिए भी अच्छा नहीं होगा।
वहीं जायसवाल की टिप्पणी के जवाब में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने एक निर्णय लिया। दूसरे राज्यों में भी इसका विरोध हो रहा है। युवा अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं, इसलिए वे विरोध करने निकले। साथ ही कहा कि बेशक हिंसा कोई रास्ता नहीं है। हम हिंसा को स्वीकार नहीं कर सकते, लेकिन बीजेपी को ये भी सुनना चाहिए कि इन युवाओं को क्या चिंता है।
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