नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अगस्ता वेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर घोटाले (AgustaWestland VVIP chopper scam) की जांच एजेंसियों द्वारा की जा रही ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन मिशेल जेम्स (Christian Michel James) की जमानत अर्जी पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED को नोटिस जारी किया है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बैंच ने माइकल की जमानत याचिकाओं पर सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी किया और 4 सप्ताह के भीतर उनसे जवाब मांगा और मामले को जुलाई में सुनवाई के लिए लिस्टेड किया गया है।
मिशेल की ओर से पेश हुए वकील ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील दी कि जांच अभी भी पूरी नहीं हुई है और उसे अब तक तीन साल और छह महीने हो चुके हैं और प्रत्यर्पण से पहले वह दुबई की हिरासत में था। मिशेल ने दिल्ली हाईकोर्ट के 11 मार्च के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।
हाई कोर्ट में ईडी और सीबीआई ने वीवीआईपी हेलिकॉप्टर मामले में मिशेल की ओर से दायर जमानत याचिका का विरोध किया था। CBI ने कहा था कि उसके भागने का जोखिम है और उसे डर है कि जिस तरह से ब्रिटिश सरकार उसकी मदद कर रही है, उसके कारण वह भाग सकता है और कभी वापस नहीं आएगा।
मिशेल ने हाईकोर्ट के सामने दलील दी थी कि मामले के अन्य सभी आरोपियों को 60 दिनों में जमानत मिल गई और वह अकेला है जिसे जमानत नहीं दी गई है। जमानत अर्जी के मुताबिक, मिशेल ने कहा था कि जमानत की शर्त के तौर पर वह जरुरत पड़ने पर जांच और मुकदमे में शामिल होने के लिए उपलब्ध रहेगा और उन्होंने कभी भी कानून की प्रक्रिया से बचने की कोशिश नहीं की।
इससे पहले, ट्रायल कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी और ब्रिटिश उच्चायोग के साथ एक पत्र भेजने के लिए अपनी नाराजगी दिखाई थी, जिसमें कहा गया था कि मिशेल की उनकी चिकित्सा स्थिति और उनकी ढाई साल की प्री-ट्रायल नजरबंदी को ध्यान में रखा जा सकता है। जब उनकी जमानत अर्जी पर विचार किया जाता है।
2018 में भारत द्वारा दुबई में प्रत्यर्पण का मामला जीतने के बाद क्रिश्चियन मिशेल जेम्स को प्रत्यर्पित किया गया था। सौदे में कथित बिचौलिए क्रिश्चियन मिशेल को यूएई से प्रत्यर्पित किया गया था और फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में है। दुबई स्थित व्यवसायी राजीव सक्सेना को 31 जनवरी, 2019 को अगस्ता वेस्टलैंड से 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की खरीद से संबंधित 3,600 करोड़ रुपए के कथित घोटाले के सिलसिले में भारत प्रत्यर्पित किया गया था।