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Black Fungus: एम्स डॉयरेक्टर डॉ रणदीप गुलेरिया की खास सलाह, डायबीटिक लोगों को सचेत रहने की जरूरत

Updated May 21, 2021 | 15:12 IST

पोस्ट कोविड फंगल इंफेक्शन पर एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया का कहना है कि स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल से फंगल इंफेक्शन की समस्या कुछ अधिक आ रही है।

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डॉ रणदीप गुलेरिया, निदेशक, एम्स दिल्ली
मुख्य बातें
  • पोस्ट कोविड लोगों में ब्लैक फंगस का खतरा
  • डायबीटिज मरीजों के लिए ज्यादा खतरा, बिना सलाह स्टेरॉयड ना लेने की सलाह
  • एम्स निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि डायबिटिक मरीजों को सतर्क रहने की जरूरत

एम्स निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोविड मरीजों में फंगल इंफेक्शन देखने को मिल रहा है। सार्स के प्रकोप के दौरान कुछ हद तक यह भी बताया गया था। COVID के साथ अनियंत्रित मधुमेह भी म्यूकोर्मिकोसिस को बढ़ावा दे सकता है। कोरोना महामारी की इस दूसरी लहर में स्टेरॉयड का उपयोग बहुत अधिक हो गया है, और जब हल्के या प्रारंभिक रोग में संकेत नहीं दिया जाता है तो स्टेरॉयड एक द्वितीयक संक्रमण का कारण बन सकता है।

डायबीटिज के मरीजों को खतरा अधिक
जिन लोगों को स्टेरॉयड की उच्च खुराक दी जाती है, जब संकेत नहीं दिया जाता है तो वे उच्च रक्त शर्करा के स्तर और म्यूकोर्मिकोसिस की उच्च संभावना को जन्म दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह की तमाम जानकारियां हैं कि लोग गिरते हुए ऑक्सीजन स्तर को बढ़ाने के लिए स्टेरॉटड का सेवन कर रहे हैं। लेकिन बिना किसी योग्य चिकित्सक के सलाह ऐसा करना जोखिम भरा है। उन्होंने कहा कि अभी इस समय पर्याप्त डेटा नहीं है कि कितने लोग स्टेरॉयड के ज्यादा इस्तेमाल से ब्लैक फंगस की जद में आ रहे हैं। लेकिन जिस तरह से देश के कुछ राज्यों में म्यूकोर्मिसिस के मरीजों की संख्या बढ़ी है वो चिंताजनक है। 

ब्लैक फंगस रोकने के तीन उपाय

  1. ब्लड सुगर लेवल पर बेहतर नियंत्रण
  2. स्टेरॉयड का सेवन करने वाले ब्लड सुगर की करें मॉनिटरिंग
  3. स्टेरॉयड का डोज बिना सलाह ना बढ़ाएं और ना ही घटाएं

ब्लैंक फंगस के प्रकोप पर नियंत्रण जरूरी
हमें इस प्रकोप की रोकथाम पर देखना होगा। तीन कारक बहुत महत्वपूर्ण हैं- रक्त शर्करा के स्तर का अच्छा नियंत्रण, स्टेरॉयड लेने वालों को नियमित रूप से रक्त शर्करा के स्तर की निगरानी करनी चाहिए,और सावधान रहना चाहिए कि स्टेरॉयड और उनकी खुराक कब दें? बहुत सारे झूठे संदेश घूम रहे हैं कि यह कच्चा खाना खाने के कारण हो सकता है लेकिन यह सुझाव देने के लिए कोई डेटा नहीं है। इसका उपयोग किए जा रहे O2 के प्रकार से भी कोई लेना-देना नहीं है। होम आइसोलेशन में रहने वाले लोगों में भी इसकी खबर आ रही है

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