- आईएनएस राजपूत 41 वर्षों की सेवा के बाद लेगा आराम
- विशाखापत्तनम के नौसेना डॉकयार्ड में दी जाएगी अंतिम विदाई
- 1980 में इंडियन नेवी का हिस्सा बना था आईएनएस राजपूत
नई दिल्ली। किसी भी लड़ाई को जीतने के लिए हौसले की जरूरत होती है और उसके साथ ही हथियारों की। अगर किसी फौज के पास हौसला और हथियार दोनों हो तो हर एक अभियान में जीत निश्चित तौर पर होती है। भारतीय फौज दुनिया की पेशेवर फौजों में से एक है और उस फौज की ताकत में आईएनएस राजपूत का खास योगदान रहा है। 41 साल पहले 1980 में आईएनएस राजपूत को इंडियन नेवी का हिस्सा बनाया गया और अपने 41 साल के सफर में आईएनएस राजपूत ने राज करेगा राजपूत के आदर्श नारे को मुकम्मल उतारा।
आईएनएस राजपूत के 41 वर्ष
41 साल के शानदार सफर के साथ अब आईएनएस राजपूत यादों में रह जाएगा। लेकिन उससे जुड़ी कामयाबियों को जब हम जिक्र करते हैं तो देश का सीना चौड़ा हो जाता है। चार दशक के सफर में ना सिर्फ देश की सेवा में जीजान से लगा रहा, बल्कि मुश्किल के क्षणों में पड़ोसियों को भी मदद की।
INS Rajput का शानदार इतिहास
- 41 साल की सेवा के बाद आईएनएस राजपूत रिटायर
- 4 मई 1980 को इंडियन नेवी का बना हिस्सा
- विशाखापत्तनम, नौसेना डॉकयार्ड में दी जाएगी विदाई
- कोविड की वजह से अधिकारी और नाविक ही होंगे शामिल
- आईएनएस राजपूत का निर्माण यूक्रेन में किया गया था और उसे रूसी नाम नादेजनी दिया गया था जिसका अर्थ होता है होप। आईएनएस राजपूत को बनाने का काम सितंबर 1976 में शुरु किया गया और 1977 में लांच किया गया।
- 1980 में नादेजनी को आईएनएस राजपूत के तौर जॉर्जिया में कैप्टन मोहनलाल हीरानंदानी और तत्कालीन सोवियत संघ में भारत के राजदूतक रहे आईके गुजराल ने कमीशन किया।
- कैप्टन रहे मोहनलाल हीरानंदानी कमोडोर के पद पर आसीन हुए और वो पहले कमांडिंग ऑफिसर बने।
- देश की सुरक्षा के लिए आईएनएस राजपूत को जिम्मेदारी दी गई उसे बखूबी निभाया। श्रीलंका में इंडियन पीस कीपिंग फोर्स के तौर पर ऑपरेशन अमन का हिस्सा बना। श्रीलंका के तटों पर गश्ती के लिए ऑपरेशन पवन, मालदीव से बंधकों को आजाद कराने में ऑपरेशन कैक्ट्स और लक्षद्वीप में ऑपरेशव क्रासनेस्ट में शामिल रहा।
इस तरह से होती है डीकमिश्निंग
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक नौसेना के ध्वज और अंतिम कमीशनिंग पेनेंट को आईएनएस से उतार लिया जाएगा और उसे डीकमिशनिंग का प्रतीक कहा जाता है। 41 वर्ष के सेवाकाल में 31 कमांडिंग अफसरों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई। 14 अगस्त 2019 को अंतिम कमांडिंग अफसर को जिम्मेदारी दी गई थी।