ज्ञानवापी मस्जिद के मसले पर बेहद मुखर होकर अपनी बात रखने वाले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट पूर्ण न्याय करेगा क्योंकि गंभीर प्रक्रियात्मक अन्याय हुआ है। आयुक्त ने निचली अदालत के न्यायाधीश को रिपोर्ट नहीं दी है। याचिकाकर्ता ने आवेदन किया और मुस्लिम पक्ष को नोटिस दिए जाने से पहले न्यायाधीश ने क्षेत्र की रक्षा करने और नमाजियों को 20 तक सीमित करने का आदेश पारित किया।
उन्होंने कहा कि आदेश अनुचित है, हम आशा करते हैं कि सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से आदेश पर रोक लगाएगा और 1991 के पूजा स्थल अधिनियम, इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने और दूसरे पक्ष की सुनवाई के बिना सील करने में अनुचितता को पहचानेगा। निचली अदालत का आदेश गलत, अनुचित और अवैध था।
हिंदू पक्ष द्वारा ज्ञानवापी के सर्वे में शिवलिंग मिलने का दावा किया गया, जिसके बाद वाराणसी कोर्ट ने उस जगह को सील करने का निर्देश दिया। सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट गया। मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में इस मामले पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने वाराणसी के जिलाधिकारी को ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर के अंदर उस क्षेत्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया, जहां शिवलिंग पाए जाने की बात कही जा रही है। ज्ञानवापी मस्जिद का कामकाज देखने वाली कमेटी ऑफ मैनेजमेंट अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि मुस्लिम बगैर किसी बाधा के नमाज अदा करना जारी रख सकते हैं।
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वहीं वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में वीडियोग्राफी-सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए गए अजय मिश्रा को उनके एक सहयोगी द्वारा मीडिया में खबरें लीक करने के आरोप में मंगलवार को स्थानीय अदालत ने पद से हटा दिया गया।
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