नई दिल्ली: उदयपुर में हुए कांग्रेस के चिंतन शिविर से कई बड़े फैसले डिक्लेरेशन के तौर पर निकल कर सामने आए लेकिन एक फैसला अटक गया जिससे वरिष्ठ नेताओं को राहत मिलती दिख रही है। चिंतन शिविर में चर्चा के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 6 अलग-अलग समितियां बनायीं, जिसमें यूथ कमेटी ने कांग्रेसियों को 65 साल में रिटायर करने की सिफारिश की थी, सूत्रों के मुताबिक सोनिया ने बैठक के दौरान इस फैसले को सहमति भी दी, लेकिन नेताओं के चर्चा के बाद इस ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
खास बात ये रही कि, 65 साल की सीमा की सिफारिश को खुद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने सहमति दे दी। जिसके बाद खलबली मचना लाज़मी था। दरअसल, इस फैसले के अमन में आते ही हरियाणा में हुड्डा, मध्य प्रदेश में कमलनाथ, दिग्विजय, हिमाचल में प्रतिभा वीरभद्र सिंह सभी को घर बैठना होता वही इसके अलावा अशोक गहलोत, पी.चिदम्बरम, ग़ुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मल्लिकार्जुन खरगे, पवन बंसल सरीखे वरिष्ठ नेता इस सीमा के जद में आ रहे थे।
सोनिया गाँधी ने भी फैसले में भरी थी हामी
ऐसे में फिर लम्बे विमर्श के बाद तय हुआ कि, फिलहाल कांग्रेस के इस बुरे दौर में आनन फानन में ये फैसला करना सही नहीं होगा। अचानक तमाम बड़े नेता जो इस वक़्त अपने अपने राज्यों में कमान संभाले हैँ उन्हें रिटायर करना राजनीतिक तौर पर इस समय फायदे का फैसला नही होता।
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लेकिन रिटायरमेंट की उम्र को लेकर चर्चा गम्भीर थी, खुद सोनिया का इसके हक़ में होना इस मसले पर दबाव बढ़ा रहा था। ऐसे में फिलहाल ये तय हुआ कि, इस मामले को तुरंत अमल में लाने के बजाय 2024 के लोकसभा चुनाव तक इसको टाल दिया जाए, उसके बाद आहिस्ता आहिस्ता इस फैसले को लागू किया जाए, ये वरिष्ठों के लिए दो सालों का कूलिंग ऑफ पीरियड की तरह रहे।
ये माना जा रहा है कि 2024 का चुनाव सोनिया गांधी नहीं लड़ेंगी अगर सोनिया सक्रिय राजनीति से रिटायर होने का फैसला करती है तो उस वक्त के लगभग सभी नेता भी रिटायर होंगे, लेकिन 2024 के आसपास चुनाव जीतने वाले क्या मुख्यमंत्री बनने वाले नेताओं को इस में छूट मिल सकती है। जैसे हरियाणा से भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मध्य प्रदेश के कमलनाथ और हिमाचल से प्रतिभा वीरभद्र सिंह अगर सीएम बन जाते हैं तो उन्हें कुछ वक्त का समय मिल जाएगा। हो नेता भी 2024 में रिटायर होने से बच सकते हैं जो लोकसभा चुनाव जीते हो या जिनका राज्यसभा का कार्यकाल बचा हुआ हो। यह भी फार्मूला कांग्रेस तलाश रही है कि वरिष्ठ नेताओं की एक कमेटी बनाई जाए जो सलाहकार की भूमिका में रहे।