- महाराष्ट्र में शिवसेना की अगुवाई में एनसीपी और कांग्रेस सरकार में शामिल
- कांग्रेस ने अपनी ही सरकार के फैसलों पर की घेरेबंदी
- कोरोना वायरस के 36 फीसद केस अकेले महाराष्ट्र से
नई दिल्ली। किसी तरह से सत्ता हासिल करना और अपने विचारों पर अडिग रहकर सरकार चलाने में काफी फर्क होता है। महाराष्ट्र में तीन ऐसे दल एक छतरी के नीचे हैं जिनकी विचारधारा एक दूसरे से मेल नहीं खाती है। लेकिन महाराष्ट्र की जनता के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक साथ आए और गठबंधन को महाविकास अघाड़ी का नाम दिया। लेकिन ऐसा लगता है कि तीनों दलों में फैसले को लेकर बुनियादी फर्क है।
क्या नाराज हैं राहुल गांधी
यह सवाल क्यों उठ रहा है। दरअसल कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को सपोर्ट करने और उसे चलाने में फर्क होता है। इसका अर्थ यह है कि क्या कांग्रेस खुद को सरकार के फैसलों से अलग थलग महसूस कर रही है। अगर बात कोरोना की करें तो करीब 36 फीसद मामले महाराष्ट्र से हैं। लेकिन राहुल गांधी को महाविकास अघाड़ी सरकार में किसी तरह की खामी नजर नहीं आती है। क्या कांग्रेस अपने आपको यह कह सिर्फ बचाने की कोशिश कर रही है। लेकिन राहुल गांधी के बयान से महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष और उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री बाला साहेब थोराट इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
कोरोना और महाराष्ट्र की राजनीति
बाला साहेब थोराट कहते हैं कि कांग्रेस नाखुश नहीं है। सरकार में शामिल तीनों दलों की हर हफ्ते बैठक होती है। तीनों दल मिलकर काम कर रहे हैं। यहां यह जानना जरूरी है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने हाल ही में राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और सीएम उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी। दरअसल महाविकास अघाड़ी सरकार पर बार बार आरोप लग रहे हैं कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सरकारी फैसले नाकाम साबित हो रहे हैं। बीजेपी नेता नीतेश राणे ने एक बार फिर केईएम अस्पताल की तस्वीर जारी कर बताया कि यह स्वास्थ्य व्यवस्था है तो उनके पिता नारायण राणे ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आवश्यकता है।