- भारत और चीन के बीच सीमा पर शांति लाने के लिए सहमति बनी है
- सहमति के बावजूद विवाद वाली जगहों से पीछे नहीं हटा है चीन
- सर्दी के मौसम को देखते हुए भारतीय फौज ने शुरू की अपनी तैयारी
नई दिल्ली : लद्दाख एवं वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की सेना की मंशा भांपते हुए भारतीय सेना अपनी तैयारियों में इजाफा करने में जुट गई है। दरअसल, ऐसी रिपोर्टें हैं कि पूर्वी लद्दाख के तनाव वाली जगहों से पीछे लौटने पर बनी सहमति के बावजूद चीन की सेना वापस जाने से मुकर रही है। वह अभी भी पीछे नहीं हटी है। इन इलाकों में चीन की मंशा लंबे समय तक टिके रहने की हो सकती है। इसे देखते हुए भारतीय फौज ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। कुछ महीनों में लद्दाख में सर्दी का मौसम शुरू हो जाएगा। मौसम की विपरीत परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए सेना लद्दाख में अपनी लॉजिस्टिक क्षमता को बढ़ाने में जुटी है। सर्दी के मौसम के लिए राशन, कपड़े और अन्य जरूरत की चीजों का इंतजाम अभी से किया जा रहा है।
पूर्वी लद्दाख से पीछ नहीं हटी चीन की सेना
समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बुधवार को बताया कि पूर्वी लद्दाख के भीतरी एवं अंग्रिम मोर्चों पर चीन सेना के करीब 40 हजार जवान तैनात हैं। इन्हें मदद पहुंचाने के लिए वहां भारी हथियार, बख्तरबंद वाहन एवं वायु रक्षा प्रणाली मौजूद है। सीमा पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच कूटनीतिक एवं सैन्य स्तर की कई दफे बातचीत हुई है। इन वार्ताओं में यह सहमति बनी कि तनाव एवं टकराव की आशंका वाली जगहों पर शांति कायम करने के लिए चीन की सेना पीछे हटेगी लेकिन अब जो रिपोर्ट सामने आई है उससे जाहिर होता है कि चीन की तरफ से इस सहमति का सम्मान नहीं किया जा रहा है।
सर्दी के लिए राशन जमा कर रहा भारत
पूर्वी लद्दाख के पेंगोंग लेक, गोगरा और हॉट स्प्रिंग में भारत और चीन की फौज आमने-सामने हैं। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि 'लद्दाख में आम तौर पर हर साल सेना के लिए करीब 30 हजार मीट्रिक टन राशन की जरूरत होती है लेकिन चूंकि इस समय भारतीय फौज की वहां अतिरिक्त तैनाती हुई है, ऐसे में राशन की मात्रा भी दोगुनी रखनी पड़ेगी।' अधिकारी ने कहा, 'चूंकि, पीएलए अभी वहां से पीछे हट नहीं रही ऐसे में हम लंबे समय तक वहां रुकने की तैयारी कर रहे हैं। हम वहां सर्दी के लिए गर्म पकड़े एवं अन्य लॉजिस्टिक्स बढ़ा रहे हैं।' उन्होंने कहा, 'पीएलए सर्दी के मौसम का फायदा न उठा पाए इसके लिए हमें अग्रिम मोर्चों पर लंबे समय तक अपने सैनिकों को तैयार रखना पड़ेगा।'
सहमति के बावजूद पलट गया है चीन
बता दें कि गत 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच खूनी झड़प हुई। इस झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हुए। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया। सीमा पर चीन के अतिक्रमण को देखते हुए भारत ने एलएसी के अग्रिम मोर्चों पर अपने सैनिकों की संख्या में इजाफा किया है। लद्दाख में सेना की कई डिवीजन तैनात हैं। एलएसी के समीप वायु सेना के ठिकानों को अलर्ट मोड पर रखा है। भारत ने चीन को सपष्ट संकेत दिया है कि वह अपनी एक इंच भूमि से पीछे नहीं हटेगा। सैनिकों का मनोबल ऊंचा रखने के लिए जुलाई महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लेह का दौरा किया है।