- एक साल में घट गए 7 विधायक, उप-चुनाव में भी मिली हार
- बाबुल सुप्रियो और मुकुल रॉय जैसे नेता भाजपा का साथ छोड़ चुके हैं।
- पंचायत चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए अच्छा प्रदर्शन करना बड़ी चुनौती है।
Amit Shah West Bengal Visit: भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज से पश्चिम बंगाल के 2 दिन के दौरे पर है। वैसे तो इस दौरे पर, शाह सरकारी कार्यक्रमों में भी भाग लेंगे। लेकिन सरकारी कार्यक्रमों से ज्यादा पार्टी के लिए शाह का दौरा बेहद अहम है। खास इसलिए है क्योंकि मई 2021 विधानसभा चुनावों में भाजपा की हार के बाद, जिस तरह पार्टी में आंतरिक कलह मचा हुआ है और नेताओं का पार्टी छोड़ना जारी है, ऐसे में भाजपा के चाणक्य के लिए, राज्य में ममता बनर्जी के खिलाफ पार्टी को एकजुट करने की बड़ी चुनौती है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता है तो न केवल आने वाले समय में पंचायत चुनाव बल्कि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।
एक साल में में घट गए 7 विधायक, उप-चुनाव में भी मिली हार
पश्चिम बंगाल में भाजपा की स्थिति दूसरे राज्यों की तुलना में एकदम उलट है। एक तरफ भाजपा प्रभाव वाले दूसरे राज्यों में अन्य दलों से पार्टी में शामिल होने की लाइन लगी हुई है। वहीं पश्चिम बंगाल में लगातार भाजपा के नेता पार्टी का साथ छोड़ रहे हैं। 2021 के विधानसभा चुनावों में 77 सीट जीतने वाली भाजपा के विधायकों की संख्या घटकर 70 रह गई है। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो और पार्टी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके मुकुल रॉय जैसे नेता पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं। इसी तरह अमित शाह के दौरे के ठीक पहले उत्तर 24 परगना के15 नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। जबकि उम्मीद की जा रही थी कि दौरे के पहले पार्टी एकजुटता दिखाने की कोशिश करेगी।
पिछले महीने आसनसोल लोकसभा उप चुनाव और बालीगंज विधानसभा उप चुनाव में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। आसनसोन से जहां तृणमूल नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने बीजेपी की अग्निमित्रा पॉल को हराया। वहीं बालीगंज विधानसभा उपचुनाव में भी बीजेपी छोड़कर तृणमूल का दामन थाम चुके बाबुल सुप्रियो ने भाजपा को शिकस्त दी। जाहिर है बंगाल में भाजपा के लिए सब-कुछ अच्छा नहीं हो रहा है। इसी तरह भाजपा ने विधानसभा चुनावों में हार के बाद प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष को हटा दिया था। और उनकी जगह सुकांत मजूमदार को कमान सौंपी गई । लेकिन उनके अध्यक्ष बनने के बाद से पार्टी का चुनावों में प्रदर्शन फीका रहा है। राज्य में इसके अलावा कार्यकर्ताओं के मनोबल को बढ़ाना भी अमित शाह के लिए चुनौती है। क्योंकि तृणमूल-भाजपा कार्यकर्ताओं के संघर्ष बहुत से कार्यकर्ताओं को हिंसा का सामना करना पड़ा है।
आरएसएस सुधारेगा माहौल
सूत्रों के अनुसार इस दौरे पर अमित शाह पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के नेताओं से भी मिलेंगे। उम्मीद है कि जिस तरह 2019 के लोकसभा चुनावों के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भाजपा के लिए जमीनी स्तर पर माहौल बनाया था। और पार्टी को पहली बार 18 सीटें मिली थी। यही नहीं तृणमूल कांग्रेस ने जहां 43 .69 फीसदी वोट हासिल किया था, वहीं भाजपा ने भी 40.64 फीसदी वोट हासिल किए थे। साफ है कि एक बार फिर भाजपा को कम से कम ऐसे ही प्रदर्शन की उम्मीद होगी। और उसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भूमिका निभा सकता है।