भारत ही नहीं पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है। केंद्र सरकार के साथ मिलकर इस मुश्किल समय में हर प्रदेश सरकार कोरोना का डटकर मुकाबला कर रही है। संकट की इस घड़ी में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले और व्यवस्थाओं की चर्चा हर तरफ हो रही है। इस दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी की पूरी मशीनरी कोरोना को खत्म करने की जिस जिद से लड़ रही है, उसकी सराहना जरूरी है। तीन साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कई बार अपनी क्षमाताओं और योग्ताओं को प्रदर्शित किया है और एक बार फिर उन्होंने खुद को साबित कुशल शासक और असली नायक के रूप में साबित कर दिया है।
योगी आदित्यनाथ भारत की सर्वाधिक जनसंख्या वाले प्रदेश के मुखिया हैं और उत्तर प्रदेश का जनसंख्या घनत्व भी अधिक है। ऐसे में इस राज्य के सामने चुनौतियां भी अधिक हैं और यही वजह है कि स्वयं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश की 23 करोड़ जनता की देखभाल में जुटे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक तरफ कोरोना वायरस के नियंत्रण के लिए लॉकडाउन का पालन कराने को कठोर फैसले ले रहे हैं, तो दूसरी तरफ प्रदेश के गरीब, मजदूर और निराश्रितों के लिए चिंतित भी हैं। वह जानते हैं कि कोरोना वायरस के चलते प्रदेश के सभी कार्य बंद हैं, तो दैनिक मजदूर जीवन यापन कैसे करेंगे? इस संदर्भ में सरकार का उनके हितों के बारे में सोचना यह साबित करता है कि योगी आदित्यनाथ ने किसी वर्ग, धर्म, जाति से ऊपर उठकर गरीबों के जीवन की चिंता की है।
यही वजह है कि लॉकडाउन के दौरान मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रदेश के 02 करोड़ 18 लाख जरूरतमंदों को खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया है। 43 लाख 63 हजार 678 राशन कार्ड के जरिए 1,21,025 मीट्रिक टन से अधिक खाद्यान का वितरण किया गया जिसमें से 24 लाख 72 हजार 692 राशन कार्ड के जरिए 78,947 मीट्रिक टन खाद्यान का वितरण निशुल्क किया गया। निशुल्क खाद्यान वितरण से प्रदेश के 1.17 करोड़ गरीब-मजदूर लाभान्वित हुए हैं। उत्तर प्रदेश में 1.65 करोड़ से ज्यादा अन्त्योदय योजना, मनरेगा और श्रम विभाग में पंजीकृत निर्माण श्रमिक एवं दिहाड़ी मजदूरों को एक माह का निशुल्क राशन उपलब्ध कराने का आदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिया है। यह राशन अप्रैल की पहली तारीख से उपलब्ध भी कराया जाने लगा।
दिहाड़ी मजदूर, सफाईकर्मियों और गरीबों की मदद के लिए राहत पैकेज के ऐलान ने भी मुख्यमंत्री की छवि को निखारा है। यह किसी भी सरकार के लिए आसान नहीं कि 80 लाख से ज्यादा मजदूरों को सीधे सीधे मदद भेजी जाए। 35 लाख दिहाड़ी मजदूरों तथा खोमचे वालों को प्रति महीने 1000 रुपये आर्थिक सहायता देने के योगी आदित्यनाथ के ऐलान ने रोज कमाकर खाने वालों की परेशानी को काफी हद तक कम कर दिया। उत्तर प्रदेश श्रम विभाग में 20 लाख 37 हजार पंजीकृत श्रमिक हैं वहीं 15 लाख से अधिक दैनिक सफाईकर्मी ढेले वाले हैं। सरकार ने इन सभी के खातों में भरण-पोषण के लिए सीधे एक एक हजार रुपये भेजे। वहीं योगी आदित्यनाथ ने मनरेगा मजदूरों के खाते में ₹611 करोड़ की धनराशि हस्तांतरित कर दी।
संकट की इस घड़ी में उनके चेहरे पर हर प्रदेशवासी के लिए साफ चिंता देखी जा सकती है। इस वक्त में जब सभी अपने घरों में हैं, तब योगी आदित्यनाथ कोरोना प्रभावित जिलों के दौरे पर गए। वह आइसोलेशन वार्ड जाकर व्यवस्था जांच रहे हैं और सड़क पर उतरकर जायजा ले रहे हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार तीन साल पूरे कर चुकी है और इस तरह के फैसलों से वह जननेता बनकर उभरे हैं। स्वास्थ्य के मोर्चे पर सरकार ने कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं, लेकिन यहां सराहना एक दूसरी बात की भी होनी चाहिए। यह सरकार गरीबों या लाभार्थियों के खाते में सीधे लाभ भेजने वाली सरकार साबित हुई है। देश के अन्य राज्यों की सरकारें जब तक सोचती रहीं, तब तक यूपी सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने फैसले लेकर उनका पालन भी करा दिया।
बता दें कि चीन के वुहान शहर में कोराना नामक वायरस पैदा हुआ और उसने चीन के साथ दुनिया के 200 देशों को अपनी जद में ले लिया। यह वायरस दुनियाभर में 800,000 से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले चुका है जिनमें से 40,000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इटली में जहां सबसे ज्यादा 12,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं, वहीं अमेरिका में 3600 से ज्यादा लोगों की जान चली गई है।
भारत में भी कोरोना ने अपना जाल बिछा लिया है और लगभग हर राज्य तक इसकी पहुंच हो चुकी है। यहां अभी तक करीब 1834 मामले सामने आए हैं जिनमें से 41 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अप्रैल तक पूरे देश में लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है और तमाम राज्य सरकारें प्रभावी रूप से लॉकडाउन का पालन करा रही हैं।
(डिस्क्लेमर: इस प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं और टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।)