- सेनाओं की हवाई परिवहन सेवा में पुराना साथी रहा है चीता हेलीकॉप्टर
- हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के नए हेलीकॉप्टर से बदले जाने की तैयारी
- रक्षा प्रदर्शनी में नजर आ रहा एचएएल का लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच)
नई दिल्ली: देश की सेनाएं जो हर कीमत पर देश की सुरक्षा करती हैं। जवानों के हौसले, जज्बे और त्याग की भावना किसी से छिपी नहीं है लेकिन इन भावनाओं के अलावा कुछ और भी है जो सरहदों को महफूज रखने में सुरक्षा बलों के अहम साथी हैं। इन्हें अक्सर रक्षा उपकरणों, तकनीक और हथियार के तौर पर जाना जाता है। इन दिनों डिफेंस एक्सपो 2020 के बीच रक्षा उपकरणों की खूब चर्चा है, इस बीच आज बात एक ऐसे पुराने साथी की जो दशकों से भारतीय सेना और सुरक्षा बलों का साथी रहा है।
उसने जवानों तक खाना और जरूरी सामान पहुंचाया, घायलों को लड़ाई के मैदान से अस्पताल पहुंचाया और सीमाओं की सुरक्षा के लिए सैनिकों को सियाचिन जैसी पहाड़ी चोटियों पर पहुंचाया। सेना के इस पुराने साथी का नाम है 'चीता', जो अपने हल्के वजन और तेज रफ्तार के लिए जाना जाता रहा है। कभी हवाई परिवहन की रीढ़ रहे इस हेलीकॉप्टर को रिटायरमेंट का इंतजार है।
टलती रही विदाई: चीता हेलीकॉप्टर को पहली बार साल 1976-77 के बीच हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने लाइंसेंस के तहत बनाया था। इसे यूरोकॉप्टर, फ्रांस के LAMA SA 315B हेलीकाप्टर की तर्ज पर बनाया गया था। समय समय पर चीता हेलीकॉप्टर के क्रैश होने की घटनाएं सामने आती रहीं लेकिन इसके बावजूद बजट की कमी और रक्षा खरीद में देरी के चलते इन हेलीकॉप्टर की विदाई टलती रही।
एलयूएच लेगा जगह: अब जल्द हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के ही स्वदेशी तौर पर डिजायन और विकसित एक नए हेलीकॉप्टर से चीता को बदले जाने की संभावना है। इस नए हेलीकॉप्टर का नाम है- लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच)। बीते साल सियाचिन जैसे ऊंचे इलाकों में यह हेलीकॉप्टर अपने सभी परीक्षण पूरे कर चुका है और तैनाती के लिए तैयार है। इसे लखनऊ के डिफेंस एक्सपो 2020 में प्रदर्शित किया जा रहा है और एचएएल को सेनाओं से ऑर्डर का इंतजार है।
LUH और कमोव लेंगे चीता चेतक की जगह: एचएल का एलयूएच और रूसी कमोव 226टी चीता हेलीकॉप्टर की जगह लेंगे। रूसी कमोव 226टी को मेक इन इंडिया के तहत बनाने की तैयारी है। चीता के अलावा सेना में सेवा दे रहे कुछ चेतक हेलीकॉप्टर भी इन दोनों हेलीकॉप्टर से बदले जाएंगे, यह भी बेहद पुराना हेलीकॉप्टर है जो पहली बार 1965 में सुरक्षा बलों को मिले थे।