- सशस्त्र सेनाओं का कहना है कि 2023 से ये हेलिकॉप्टर तकीनीकी रूप से रिटायर होने लगेंगे
- सेना, वायु सेना और नौसेना को चाहिए नए हल्के हेलिकॉप्टर, कमी जल्द पूरी करने की सेना की मांग
- सेना, वायु सेना और नौ सेना के बड़े में अभी 187 चेतक और 205 चीता हेलिकॉप्टर शामिल हैं
नई दिल्ली : भारतीय सेना ने अपने हल्के हेलिकॉप्टरों चेतक और चीता के पुराने होते जाने को लेकर एक बार फिर चिंता जाहिर की है। सशस्त्र सेनाओं ने जोर देकर कहा है कि इन हल्के हेलिकॉप्टरों की 'तकनीकी जीवन' 2023 से समाप्त होने लगेगा। सेना ने सरकार से इस तरह के हल्के हेलिकॉप्टरों के निर्माण से जुड़े अपने दो लंबित 'मेक इन इंडिया' परियोजाओं पर काम तेजी से बढ़ाने का अनुरोध किया है। सेना का कहना है कि साथ ही सरकार हिंदुस्तान एरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से तय समय में जरूरी संख्या में हेलिकॉप्टरों की आपूर्ति कराना सुनिश्चित करे।
40 साल पुराने हो गए हैं चेतक और चीता हेलिकॉप्टर
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को बताया, 'रक्षा मंत्रालय को बताया गया है कि सिंगल इंजन वाले चीता एवं चेतक हेलिकॉप्टरों के पुराने होने से अभियानगत शून्यता तेजी से उभर रही है। इनमें से ज्यादातर हेलिकॉप्टर 40 साल पुराने हैं।' सेना पिछले 15 सालों से अपने लिए नए हल्के हेलिकॉप्टरों की मांग कर रही है। सेना की यह नई मांग पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनाव के बीच आई है। लद्दाख में चीन के साथ जारी गतिरोध एवं तनाव पांचवें महीने में प्रवेश कर गया है और यह आगे सर्दी में भी जारी रह सकता है।
तीनों सेनाओं के बड़े में अभी 187 चेतक और 205 चीता हेलिकॉप्टर
सेना, वायु सेना और नौ सेना के बेड़े में अभी 187 चेतक और 205 चीता हेलिकॉप्टर शामिल हैं। सेना इन हेलिकॉप्टरों का इस्तेमाल सियाचिन ग्लेशियर जैसे ऊंचे स्थान वाली जगहों पर करती आई है। लेकिन अब इन हेलिकॉप्टरों के क्रैश होने की आशंका ज्यादा बढ़ गई है। साथ ही इनके रखरखाव एवं मरम्मत का काम भी मुश्किल होता जा रहा है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि तीनों सेनाओं के लिए अभी 483 नए हल्के हेलिकॉप्टरों की जरूरत है। सरकार नए हल्के हेलिकॉप्टरों के लिए तीन तरीके से हासिल करना चाहती है।
भारत और रूस कर रहे काम
नए हल्के हेलिकॉप्टरों के लिए भारत और रूस संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। साल 2015 में हुए एक अंतर-सरकारी करार के तहत दोनों देशों को 200 दो इंजन वाले कामोव-226टी हेलिकॉप्टर का उत्पादन करना है। 20 हजार करोड़ की लागत में बनने वाले 135 हेलिकॉप्टर सेना और 65 हेलिकॉप्टर वायु सेना को मिलने हैं। एक अन्य अधिकारी ने कहा, 'पांच साल गुजर जाने के बाद भी यह अभी तकनीकी आंकलन स्तर पर है। अंतिम कॉन्ट्रैक्ट अभी कोसो दूर है।'
एचएएल भी बना रहा हल्के हेलिकॉप्टर
नए हल्कू हेलिकॉप्टरों की कमी पूरी करने के लिए एचएएल हालांकि तेजी के साथ काम कर रहा है। एचएएल के प्रमुख आर माधवन का कहना है कि सेना के लिए 111 और वायु सेना के लिए 61 हेलिकॉप्टरों की मांग की गई है। वायु सेना के लिए गत फरवरी में आईओसी की मंजूरी मिल गई। सेना भी अब इसके लिए तैयार है। इसके अलावा नए हल्के हेलिकॉप्टर हासिल करने की सरकार की तीसरी योजना 'स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप' है। इसके तहत 21,000 करोड़ रुपए की लागत से दो इंजन वाले 111 हेलिकॉप्टरों के उत्पादन की योजना है। इसके लिए एक भारतीय कंपनी एवं विदेशी उत्पादक के साथ समझौता करेगी।