ज्ञानवापी मस्जिद में हुए सर्वे का वीडियो लीक होने पर AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने इसे कोर्ट के आदेश की अवहेलना बताते हुए कहा है कि वीडियो फर्जी भी हो सकता है। सांसद ओवैसी ने कहा है कि यदि यह वीडियो सच भी है तो ज्ञानवापी मस्जिद थी, है और रहेगी।
असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जो वीडियो मीडिया में चलाए जा रहे हैं, वो बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट में तो जजों ने कहा कि मीडिया को नहीं चलाना चाहिए। यह सलेक्टिवली कौन दे रहा है। आप लीक कर लो, कुछ भी कर लो। 1991 का एक्ट है। एक्ट के मुताबिक 1947 में मस्जिद थी, मस्जिद है और रहेगी। उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर भी सवाल खड़े किए और पूछा कि पार्टी चुप क्यो हैं।
उन्होंने एक खबर को शेयर करते हुए कहा कि एडवोकेट शादान फरासत का ये मजमून जरूर पढ़ें। इससे 2 बातें साफ हो जाती हैं: 1-कानूनी रूप से 15 अगस्त 1947 को ज्ञानवापी मस्जिद, मस्जिद थी और वक्फ की जायदाद भी। 2-1991 के कानून के तहत, उपासना स्थल का धार्मिक स्वरूप वैसा ही बना रहेगा जैसा 15.8.47 को था। ज्ञानवापी मस्जिद के मस्जिद होने पर सवाल उठाना कानूनी तौर पर गलत होगा।
ज्ञानवापी परिसर में मौजूद तहखाने का वीडियो सामने आया है। तहखाने का दरवाजा बंद है जिसे एक मौलाना खोलते दिख रहे हैं। इसके बाद तहखाने के अंदर एक ढांचा नजर आ रहा है। इस ढांचे की दीवार पर कुछ शब्द गढ़े हुए दिख रहे हैं। दीवार पर ऊपर से नीचे तक के हिस्से में शब्द गढ़े दिखाई दिए। ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने के अंदर खंभों पर संस्कृत में लिखावट साफ दिख रही है। दीवारों पर फूल बने हुए हैं, दीया रखने ताखा बना हुआ है, हिंदू कलाकृतियां दिख रही हैं। ज्ञानवापी मस्जिद के नए वीडियो ने सबकुछ बेनकाब कर दिया है।
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एक वीडियो में कमल के फूल जैसी आकृति दिख रही है। मस्जिद के अंदर कई जगह त्रिशूल बना दिखाई दिया। तहखाने के इसी अंधेरे में स्वास्तिक का निशान दिखा। ये सारे धार्मिक चिन्ह हिंदुओं की आस्था के प्रतिक हैं। इसके अलावा तहखाने की जमीन पर कुछ मूर्तियां पड़ी हुई दिख रही हैं। देखने में ये मिट्टी की और काफी पुरानी लग रही हैं।