जयपुर : फोन टैपिंग मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सफाई दी है। गहलोत ने बुधवार को कहा कि भारतीय टेलिग्राफ एक्ट 1885 (संशोधन-2007) और आईटी एक्ट 2000 के तहत सक्षम अधिकारी से अनुमति मिलने के बाद टेलिफोन पर हुई बातचीत को रिकॉर्ड किया गया। इसमें सरकार का कोई दखल नहीं था। अपने एक ट्वीट में मुख्यमंत्री ने कहा कि वह खुद केंद्र सरकार के खिलाफ आरोप लगाते आए हैं क्योंकि फोन पर बातचीत करने में लोग डरे हुए हैं। बता दें कि फोन टैपिंग मामले में गहलोत सरकार बुधवार को विधानसभा में अपना जवाब देगी। भाजपा आज इस मामले को सदन में उठाने वाली है।
गहलोत ने खुद दिया जवाब
खास बात यह है कि भाजपा के आरोपों का जवाब देने के लिए गहलोत खुद सामने आए हैं। फोन टैपिंग का मामला यदि साबित हो जाता है तो कांग्रेस सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। इससे पहले गहलोत फोन टैपिंग को लेकर उठे विवाद को भाजपा का आपसी झगड़ा और वर्चस्व की लड़ाई बता चुके हैं। उन्होंने मंगलवार को कहा कि इसे बेवजह मुद्दे बनाकर विधानसभा की कार्यवाही बाधित की जा रही है।
यह भाजपा का आपसी झगड़ा-गहलोत
गहलोत ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा, 'राजस्थान विधानसभा में फोन टैपिंग को लेकर मैं 14 अगस्त, 2020 को ही पूरी बात रख चुका हूं। ऐसा लगता है कि ये भाजपा का आपसी झगड़ा है। वर्चस्व की लड़ाई है। जिसमें बेवजह मुद्दे बनाये जा रहे हैं। अनावश्यक रूप से सदन को बाधित किये जाने की कोशिश है।'’ उल्लेखनीय है कि राज्य में फोन टैपिंग को लेकर राज्य सरकार द्वारा विधानसभा में दिए गए एक लिखित जवाब पर मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने मुख्यमंत्री गहलोत पर निशाना साधा हुआ है। भाजपा विधायकों ने इस मामले को लेकर मंगलवार को राजस्थान विधानसभा में दिन भर नारेबाजी की व आसन के सामने धरना दिया।
सीएम ने अपने पुराने बयान जारी किए
गहलोत ने इसके साथ ही पिछले साल 14 अगस्त को विधानसभा में तथा 17 व 20 जुलाई को मीडिया के सामने दिए बयान भी जारी किए हैं। इसमें, उन्होंने सदन में कहा था, 'राजस्थान में कभी परंपरा नहीं रही है। विधायकों, सांसदों के फोन अवैध रूप से टैप करने की और न यहां हुआ है, ये मैं कह सकता हूं।'