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Assam Assembly Polls 2021: तेजस्वी यादव को नजर आ रही है उम्मीद, सहयोगियों की तलाश में जुटे

Updated Feb 27, 2021 | 14:54 IST

बिहार में तेजस्वी यादव को सीएम की कुर्सी भले ना मिली हो। लेकिन असम में उन्हें अपनी पार्टी के लिए संभावना नजर आ रहा है और उसके लिए वो सहयोगियों की तलाश में हैं।

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तेजस्वी यादव, पूर्व डिप्टी सीएम, बिहार
मुख्य बातें
  • असम में तीन चरणों 27 मार्च, एक अप्रैल और 6 अप्रैल को मतदान होगा
  • 2 मई को सभी 126 सीटों के नतीजे आएंगे
  • संभावनाओं को देखते हुए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव सहयोगियों की तलाश में जुटे

नई दिल्ली। तेजस्वी यादव की राष्ट्रीय जनता दल (RJD) अक्टूबर-नवंबर 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में  भले ही एनडीए से मामूली अंतर से हार गई हो। लेकिन असम विधानसभा चुनाव में वो बदला चुकाने का मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने कमर कस वी है। असम चुनाव में भोजपुरी वोट बैंक में आरजेडी को उम्मीद नजर आ रही है लिहाजा वो सयोगियों की तलाश में हैं। 

तेजस्वी यादव को सहयोगियों की तलाश
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आरजेडी के उम्मीदवार असम में चुनावी लड़ाई में भागीदार हो सकते हैं। इसके लिए आरजेडी समान विचार वाले दलों को साथ लाने की संभावना पर विचार कर रहे हैं।   बिहार की तरह, इस राज्य में भी कांग्रेस के नेतृत्व में छह-पक्षीय महागठबंधन है। अटकलें लगाई जा रही हैं कि आरजेडी इसमें शामिल हो जाएगा लेकिन असम में इसका कोई आधार नहीं है।

कांग्रेस और आरजेडी के बीच राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन है। इसके लिए  आरजेडी के नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व से मुलाकात की। कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो असम के कुछ इलाकों में विशाल भोजपुरी वोट बैंक श्री यादव को स्टार प्रचारक के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। परंपरागत रूप से, इन मतदाताओं ने भाजपा की ओर रुख किया है।

बीपीएफ से आरजेडी का संबंध बरकरार
आरजेडी ने  भाजपा के पूर्व साथी हगराम मोहिलरी के नेतृत्व वाले बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (बीपीएफ) के साथ भी संबंध बनाए रखा है। 2020 के अंत में हुए आखिरी बोडोलैंड चुनावों में, भाजपा ने इसे धूल चटा दी और बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल से हाग्रामा को सत्ता से बाहर कर यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल के साथ चुनाव बाद गठबंधन किया।

असम में तीन चरणों में चुनाव
बता दें कि असम की सभी 126 सीटों के लिए तीन चरणों में मतदान होना है और 2 मई को नतीजे आएंगे। 2016 के चुनाव में बीजेपी ने जबरजस्त कामयाबी के बाद कमल खिलाया था। इस दफा सत्तारूढ़ बीजेपी के सामने सीएए के विरोध का खामियाजा उठाना पड़ सकता है, हालांकि पार्टी को यकीन है कि मोदी लहर और विकास के एजेंडे पर चुनावी नैया पार लग जाएगी।

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