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Ayodhya title suit case verdict:'सुप्रीम' फैसला अब अंतिम है ! यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड नहीं करेगा अपील

Updated Nov 09, 2019 | 17:23 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

sunni waqf board on sc verdict: अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन पर फैसला आ चुका है। इस फैसले पर यूपी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड का कहना है कि वो अदालत के फैसले के खिलाफ रिव्यू अपील नहीं दायर करेगा।

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सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ नहीं करेगा अपील
मुख्य बातें
  • सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के अदालत के फैसले के खिलाफ नहीं करेगा अपील
  • सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि सभी लोग अदालत के फैसले का करें सम्मान
  • अगर कोई संगठन रिव्यू अपील दायर करता है तो उसके लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड जिम्मेदार नहीं होगा

नई दिल्ली। अयोध्या टाइटल सूट केस में सुप्रीम फैसला आ चुका है। अदालत ने 5-0 से विवादित 2.77 एकड़ जमीन को रामलला विराजमान के हवाले कर दिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी से जब पूछा गया कि क्या वो अदालत के फैसले के खिलाफ रिव्यू अपील करेंगे। इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देखा जाएगा। लेकिन इस संबंध में यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कहना है कि वो अदालत के फैसले का सम्मान करती है और फैसले के खिलाफ रिव्यू अपील नहीं दायर करेगी।

यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर फारूकी ने कहा कि बोर्ड का इस मुद्दे पर नजरिया साफ है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ बोर्ड क्यूरेटिव पिटीशन भी नहीं लगाएगा। अगर इस संबंध में किसी का बयान आता है तो वो उस शख्स का व्यक्तिगत नजरिया होगा। बोर्ड का उस शख्स या किसी संगठन से लेना देना नहीं होगा।उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह से 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया है उसके लिए वो शुक्रगुजार हैं। 


आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी और शकील अहमद राजीव धवन से मिले और कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कई तरह की खामियां और विरोधाभास है। इस विषय पर उन लोगों ने राजीव धवन से मुलाकात की। जहां तक इस संबंध में रिव्यू पिटीशन दायर करने का सवाल है तो वर्किंग कमेटी के सदस्य मिलकर फैसला करेंगे। जब जिलानी और शकील अहमद से पूछा गया कि राजीव धवन कैसा महसूस कर रहे हैं तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वो मानते हैं कि फैसला कानूनसम्मत नहीं है। उन्होंने निराशा जताई। एआईएमपीएलबी ने कहा कि मस्जिद के लिए विकल्प के तौर पर मिले पांच एकड़ जमीन के निर्देश को वो नहीं मानते हैं।

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