Bhupesh Baghel in Uttar Pradesh: तमाम कयासों के बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को बड़ी जिम्मेदारी सौंपते हुए कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिया है। उत्तर प्रदेश में बघेल की टीम बीते कई दिनों से संगठन को मजबूत करने का काम भी कर रही है। बघेल को मिली इसी नई जिम्मेदारी के मायने ये भी हैं कि उनकी सीएम की कुर्सी चुनाव तक तो सुरक्षित है. फिलहाल उत्तर प्रदेश कांग्रेस की प्रभारी प्रियंका गांधी हैं।
उत्तर प्रदेश से पहले बघेल को उत्तर पूर्व के राज्य असम की जिम्मेदारी दी गयी थी, कांग्रेस चुनाव भले न जीत सकी लेकिन ये बघेल की ही मेहनत थी कि पार्टी ने बीजेपी को कड़ी टक्कर दी।
असम विधानसभा चुनाव में भूपेश बघेल ने तन-मन-धन तीनों ही तरीके से कांग्रेस को लीड किया था, हालांकि कांग्रेस असम चुनाव जीतने में नाकाम रही लोगों ने एएआईयूडीएफ के साथ कांग्रेस के गठबंधन को नकार दिया।
असम की मेहनत का नतीजा यूपी में मिला!
असम चुनाव में भूपेश बघेल के चुनावी प्रबन्धन को देखते हुए उन्हें यूपी टीम प्रियंका को मजबूती देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।सालों से यूपी में सत्ता से दूर कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को 2019 महासचिव बनाया। प्रियंका गांधी ने यूपी कांग्रेस में नया जोश तो भरा लेकिन ऐसे साथी की भी जरूरत थी जिसे सरकार चलाने के साथ ही संगठन को मजबूत करने का अनुभव हो, यही वजह थी कि छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को उत्तर प्रदेश में चौथे नम्बर की पार्टी कांग्रेस को रसातल से धरातल तक लाने का जिम्मा सौंपा गया है।
पहले से ही बघेल की टीम राज्य में सक्रिय
यूपी का पर्यवेक्षक नियुक्त होने के पहले से ही बघेल की टीम राज्य में सक्रिय है। भूपेश बघेल के करीबी राजेश तिवारी उत्तर प्रदेश के सह प्रभारी हैं जिन्हें इसी साल की शुरुआत में ये जिम्मेदारी दी गयी। छतीसगढ़ मॉडल की तर्ज़ पर ही यूपी में भी अब हर बूथ पर कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
क्या प्रियंका-बघेल की जोड़ी करेगी यूपी में धमाल?
यूपी में चुनाव प्रचार की शुरुआत प्रियंका गांधी 'प्रतिज्ञा यात्रा' से करने जा रही हैं जो कि अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में शुरू होगी. 12 हज़ार किलोमीटर लंबी ये यात्रा प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से शुरू होकर पूरे प्रदेश में जाएगी। भूपेश बघेल के होने से ये तो पक्का है कि कांग्रेस को कैडर से लेकर संसधान की कमी से दोचार नहीं होना पड़ेगा।