मुस्लिम संगठन 'जमीयत उलेमा हिंद' इस महीने 28 और 29 तारीख को देवबंद में बड़ा सम्मेलन करने जा रहा है। इस सम्मेलन में ज्ञानवापी और दूसरे बड़े मुद्दों पर चर्चा होगी और भविष्य को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी। इस सम्मेलन में देशभर के 5000 मुस्लिम बुद्धिजीवी हिस्सा लेंगे। ये सम्मेलन जमीयत के दूसरे धड़े मौलाना महमूद मदनी की अगुवाई में किया जा रहा है।
देशभर में पिछले कुछ महीनों से वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के साथ अन्य तमाम इमारतों को लेकर हो रहे कानूनी मुकदमों और विवादों को लेकर मुस्लिम संगठन लगातार गोलबंदी करते हुए नजर आ रहे हैं। इस सम्मेलन में मंदिर-मस्जिद विवाद से जुड़े कई प्रस्ताव भी पास किए जाने की संभावना है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के देवबंद में इस्लामिक शिक्षा का अंतरराष्ट्रीय केंद्र दारुल उलूम भी है।
फिलहाल देशभर में कई मस्जिदों में ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट’ को चुनौती देते हुए हिंदू पक्षकारों ने पूजा के अधिकार की याचिका लगा रखी है। काशी, मथुरा और दिल्ली के कुतुबमीनार को लेकर स्थानीय जिला अदालतें सुनवाई कर रही हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट में भी कानून को चुनौती देने वाली जनहित याचिका लंबे समय से लंबित है।
ज्ञानवापी मामले में क्या कांग्रेस जनता को कर रही है गुमराह, सच आया सामने
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी कर चुका है बैठक
काशी में ज्ञानवापी मस्जिद मामले व अन्य मसलों पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी अपनी एक्सिक्यूटिव कमेटी की आपात बैठक थी। बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि बोर्ड की लीगल कमिटी मस्जिद को चुनौती देने वाले केस को लड़ने में मुस्लिम पक्ष की हर संभव मदद करेगी। इसके अलावा अन्य राजनीतिक पार्टियों से 1991 के वर्शिप एक्ट पर उनकी राय जुटाएगी।
क्या सचमुच ज्ञानवापी मस्जिद है ही नहीं, सबूतों को नकारना संभव है?