लाइव टीवी

full salary during lockdown: प्राइवेट कंपनियों को बड़ी राहत, SC का आदेश- पूरा वेतन न दे पाने पर न हो केस

full salary during lockdown: प्राइवेट कंपनियों को बड़ी राहत, SC का आदेश- पूरा वेतन न दे पाने पर न हो केस
Updated May 15, 2020 | 18:21 IST

full salary during lockdown: सुप्रीम कोर्ट ने उस आदेश पर रोक लगा दिया है जिसके तहत प्राइवेट कंपनियों को लॉकडाउन के दौराना पूरा वेतन देने का निर्देश दिया गया था।

Loading ...
full salary during lockdown: प्राइवेट कंपनियों को बड़ी राहत, SC का आदेश- पूरा वेतन न दे पाने पर न हो केसfull salary during lockdown: प्राइवेट कंपनियों को बड़ी राहत, SC का आदेश- पूरा वेतन न दे पाने पर न हो केस
लॉकडाउन के दौरान वेतन न दे पाने पर प्राइवेट कंपनियों को SC से राहत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पूरे भारत में प्रशासन को आदेश दिया कि वे उन नियोक्ताओं के खिलाफ मुकदमा न चलाएं, जो कोविड-19 के कारण राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान कामगारों को पूरे पारिश्रमिक का भुगतान करने में असमर्थ हैं। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, संजय किशन कौल और बी.आर. गवई की पीठ ने केंद्र और राज्यों से मजदूरी का भुगतान न कर पाने पर निजी कंपनियों, कारखानों आदि के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाने को कहा।

शीर्ष अदालत ने औद्योगिक इकाइयों द्वारा दायर याचिकाओं पर केंद्र से जवाब मांगा है। औद्योगिक इकाइयां यह दावा करते हुए अदालत चली गईं कि उनके पास भुगतान करने का कोई उपाय नहीं है, क्योंकि उत्पादन ठप पड़ा हुआ है।याचिकाकर्ताओं ने शीर्ष अदालत के समक्ष कहा कि कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर लागू राष्ट्रव्यापी तालाबंदी के दौरान संगठनों को उनके कार्यबल को भुगतान करने से पूरी तरह से छूट दी जानी चाहिए।

याचिका मुंबई के एक कपड़ा फर्म और 41 छोटे पैमाने के संगठनों के एक पंजाब आधारित समूह द्वारा दायर की गई थी। याचिका में गृह मंत्रालय के 29 मार्च के आदेश को रद्द करने मांग की गई, जिसमें मंत्रालय ने राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान निजी प्रतिष्ठानों को पूर्ण मजदूरी का भुगतान करने का निर्देश दिया था।याचिकाकर्ताओं ने आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 10 (2) (आई) की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है।

पंजाब स्थित लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन ने दावा किया कि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत 29 मार्च को दिया गृह मंत्रालय का आदेश, संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (जी), 265 और 300 का उल्लंघन है, जिसे वापस लिया जाना चाहिए।

Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।