- नेपाल ने अपनी हिस्से में नदियों के तटबंधों का मरम्मत करने से रोक दिया है
- मानसून से पहले हर साल इन तटबंधों का मरम्मत कार्य करता आया है बिहार
- बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को लिखा पत्र
पटना : नेपाल की ओर से नदियों के तटबंधों के मरम्मत कार्य में अवरोध पैदा किए जाने के बाद बिहार सरकार गंभीर हो गई है। नेपाल की ओर से पैदा किए गए इस गतिरोध और राज्य में बाढ़ के खतरे को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगवालर को एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इस बैठक में जल संसाधन विभाग के अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने सोमवार को कहा कि नेपाल अपनी तरफ नदियों के तटबंधों का मरम्मत करने के लिए अधिकारियों को वहां जाने के रोक दिया है।
राज्य पर बाढ़ का खतरा
झा ने सोमवार को कहा कि मानसून का सीजन आ जाने के बाद राज्य पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है लेकिन पड़ोसी देश नदियों के तटबंधों पर मरम्मत कार्य की इजाजत नहीं दे रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को गंडक बैराज और लाल बकेया नदी के तटबंधों पर मरम्मत कार्य करना है लेकिन नेपाल ऐसा करने से रोक रहा है। इन दोनों नदियों का उद्गम स्थल नेपाल है और ये उत्तरी बिहार के इलाकों से गुजरती हैं।
कोसी नदी मचाती है तबाही
मानसून सीजन में ये नदियां उफान पर आ जाती हैं। इसलिए समय रहते इनके तटबंधों का मरम्मत करना जरूरी होता है। ये नदियां मानसून के समय होने वाली बारिश के दौरान उत्तरी बिहार के पूरे क्षेत्र के लिए खतरा बनी रहती हैं। साल 2008 और पिछले साल कोसी नदी में आई बाढ़ ने भारी पैमाने पर राज्य को नुकसान पहुंचाया था। बिहार सरकार काफी सालों से इन नदियों के तटबंधों का मरम्मत करती आई है।
संजय झा ने विदेश मंत्री को पत्र लिखा
नेपाल के इस रवैये को देखते हुए झा ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखा। जद-यू नेता ने अपने पत्र में दोनों केंद्रीय मंत्रियों से इस मामले में दखल देने और समस्या का हल निकालने की मांग की है। झा ने विदेश मंत्री और जल शक्ति मंत्री से इस बारे में नेपाल से बात करने की अपील की है।
नेपाल ने बैरियर लगाए
झा ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, 'वाल्मीकि नगर के गंडक बैराज में 36 गेट हैं और इनमें से 18 गेट नेपाल की तरफ हैं। उन्होंने अपनी तरफ बैरियर लगा दिए हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। कल भी 1.5 लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी हमारी तरफ छोड़ा गया। ऐसे में यदि बाढ़ नियंत्रक सामग्री और अधिकारी वहां नहीं पहुंचे तो इस सूरत में भीषण खतरा पैदा हो सकता है।'