- मुंगेर में दुर्गा मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई फायरिंग को लेकर निशाने पर है पुलिस
- पथराव के दौरान मुंगेर पुलिस ने सबसे पहले हवाई फायरिंग की: सीआईएसएफ रिपोर्ट
- फायरिंग के बाद भीड़ और ज्यादा आक्रोशित हो गई और पथराव भी तेज हो गया- रिपोर्ट
नई दिल्ली: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से ठीक पहले मुंगेर में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के समय हुई हिंसक झड़प में एक युवक की मौत को लेकर राज्य सरकार औऱ पुलिस लगातार निशाने पर है। युवक की मौत के बाद यहां हिंसा भड़क उठी थी। हालांकि अब हालात धीरे-धीरे शांत हो रहे हैं। अब इस घटना को लेकर केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की जो रिपोर्ट सामने आई है उससे साफ होता है कि जिले की तत्कालीन पुलिस कप्तान SP लिपि सिंह ने फायरिंग को लेकर झूठ बोला था।
सीआईएसएफ की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
यह घटना दीन दयाल उपाध्याय चौक पर हुई थी, जो शहर के कोतवाली थाने की सीमा में आता है। मारे गए अनुराग के परिवार के मुताबिक उनके बेटे की पुलिस फायरिंग में मौत हो गई। उनके दावे का अन्य प्रदर्शनकारियों ने भी समर्थन किया था। हालांकि, प्रशासन की तरफ से दावा किया गया था कि अनुराग पोद्दार को भीड़ में से किसी ने गोली चलाई थी। औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि झड़प में पहली गोली पुलिस द्वारा ही चलाई गई थी। मुंगेर में स्थिति अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। इससे पहले एसपी सिंह ने कहा था कि कुछ असामाजिक तत्वों ने दुर्गा पूजा विसर्जन के दौरान पथराव किया, जिसमें 20 जवान घायल हो गए थे।
सीआईएसएफ की रिपोर्ट
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सीआईएसएफ ने गोलीकांड के अगले दिन ही यानि 27 अक्टूबर को वहां अपने अधिकारियों को भेज दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि भक्तों और पुलिस के बीच विवाद 26 अक्टूबर की रात लगभग 11:45 बजे शुरू हुआ। जब लोगों ने पुलिस और सुरक्षा बलों पर पथराव शुरू किया, तो मुंगेर पुलिस ने सबसे पहले हवा में गोलियां चलाईं। लेकिन इसने भीड़ को और उग्र कर दिया, जिससे स्थितियां हाथ से निकल गईं।
13 राउंड फायरिंग
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूनिट सीएनपी (एन) के एम गंगैया ने अपने इंसास राइफल से 13 राउंड गोलियां चलाईं। परिणामस्वरूप, हिंसक जुलूस तितर-बितर हो गया, जिसके कारण सभी सीआईएसएफ कर्मियों, स्थानीय पुलिस और अन्य सीएपीएफ कर्मियों को सुरक्षित रूप से उनके संबंधित शिविरों में लौटाया जा सका। रिपोर्ट के अनुसार, दुर्गा की मूर्ति को ढहाने वाले बांस के वाहक के बाद मुसीबत बढ़ गई। जब लोग इसे ठीक करने में समय लगा रहे थे, तो अन्य मूर्ति जुलूसों को इंतजार करना पड़ा।