- डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में सजा काट रहे बाहुबली
- अदालत ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला था
- 1990 में पहली बार बने MLA, महिषी से जीता था चुनाव
बिहार में उम्र कैद की सजा काट रहे बाहुबली आनंद मोहन फिर से सुर्खियों में है। वजह- उनके फोटो हैं, जिनमें वह घर पर रिश्तेदारों के साथ आराम करते नजर आए। ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं। लोग हैरत जताते हुए सवाल उठा रहे हैं कि बिहार में नई सरकार आ गई ऐसे में क्या मोहन को आनंद लेने के लिए आजाद कर दिया गया? इस बीच, बीजेपी ने भी इसे मुद्दा बनाया है और राज्य सरकार को घेरा।
दरअसल, मोहन को पेशी के लिए ले जाया गया था। बताया गया कि उसके बाद ही वह घर पहुंचे। वैसे, इस केस में छह पुलिस वालों को काम में लापरवाही का दोषी मानते हुए उन पर गाज गिराई गई है। साथ ही मामले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में बाहुबली दोषी हैं। हालांकि, बाद में ऊपरी अदालत ने उनकी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।
कहा जा रहा है कि मोहन को 12 अगस्त को एक दूसरे मामले में पटना के सिविल कोर्ट में पेश किया गया था और सहरसा लौटते वक्त वो अपने पाटलिपुत्र के घर पहुंच गए। घर की कुछ तस्वीरें वायरल होने के बाद बीजेपी ने नीतीश सरकार पर निशाना साधा है। बिहार में बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरिराज सिंह ने इस फोटो को शेयर करते हुए क्या कहा? देखेंः
पुलिस बोली- छह कर्मी कर दिए सस्पेंड
सहरसा की एसपी लिपी सिंह ने मोहन की वायरल हुई तस्वीर को लेकर समाचार एजेंसी एएनआई को सोमवार को बताया, "डीएसपी मुख्यालय ने मामले को लेकर रिपोर्ट मांगी है। छह पुलिस वाले सस्पेंड कर दिए गए हैं, जबकि विभागीय कार्रवाई आगे चल रही है। जेल की भूमिका पर भी जांच-पड़ताल की जा रही है। एक्शन ले लिया गया है।"
एक नजर में जान लें आनंद मोहन को
मोहन 1990 में पहली बार विधायक बने थे। उन्होंने तब महिषी से इलेक्शन जीता था। 1996 में वह समता पार्टी के टिकट से शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत हासिल की। दो साल बाद यानी 1998 में उन्होंने राष्ट्रीय जनता पार्टी के टिकट से इसी सीट से इलेक्शन लड़ा और तब भी विजय प्राप्त की। हालांकि, अगले साल 1999 में और फिर 2004 में भी लड़े, मगर दोनों ही मौकों पर उन्हें हार का स्वाद चखना पड़ा था। मोहन के बेटे चेतन आनंद आरजेडी से विधायक और पत्नी लवली आनंद पूर्व सांसद हैं।