- पीएम मोदी ने टेलीप्रॉम्प्टर के बजाय पेपर नोट्स पढ़कर दिया भाषण
- 83 मिनट का था पीएम मोदी का भाषण
- आजादी की जंग में गुलामी का पूरा कालंखड संघर्ष में बीता- पीएम मोदी
PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 76वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए अपना भाषण देने के लिए टेलीप्रॉम्प्टर के बजाय पेपर नोट्स का ऑप्शन चुना। ये लगातार नौवीं बार था जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से नागरिकों को संबोधित किया। अपने 83 मिनट लंबे भाषण में, पीएम मोदी ने देश के भूले हुए नायकों, पंचप्राण, नारी शक्ति, भ्रष्टाचार और पारिवारवाद के अलावा अन्य बातों के बारे में बात की।
टेलीप्रॉम्प्टर के बजाय पेपर नोट्स पढ़कर पीएम ने दिया भाषण
जनवरी में हुई उस एक घटना के बाद मोदी पेपर नोट्स पसंद करने लगे हैं, जब एक कथित टेलीप्रॉम्प्टर की खराबी के बाद बात करते समय बीच में रुकने के लिए उनकी आलोचना की गई थी। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए ट्वीट किया था कि यहां तक कि टेलीप्रॉम्प्टर भी इतने झूठ नहीं ले सकता।
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आजादी की जंग में गुलामी का पूरा कालंखड संघर्ष में बीता- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम दिए गए अपने संबोधन में कहा कि आजादी की जंग में गुलामी का पूरा कालंखड संघर्ष में बीता है। हिन्दुस्तान का कोई कोना ऐसा नहीं था, कोई काल ऐसा नहीं था, जब देशवासियों ने सालों साल तक गुलामी के खिलाफ जंग न की हो, जीवन न खपाया हो, यातनाएं न झेली हों, आहुति न दी हो।
पीएम मोदी ने कहा कि आजादी की जंग लड़ने वाले और आजादी के बाद देश बनाने वाले डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी हों, नेहरू जी हों, सरदार वल्लभ भाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, लाल बहादुर शास्त्री, दीनदयाल उपाध्याय, जय प्रकाश नारायण, राम मनोहर लोहिया, आचार्य विनाबाभावे, नाना जी देशमुख, सुब्रह्मण्यम भारती, अनगिनत ऐसे महापुरुषों को आज नमन करने का अवसर है।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि ये देश का सौभाग्य रहा है कि आजादी की जंग के कई रूप रहे हैं और उसमें एक रूप वह भी था जिसमें नारायण गुरू हों, स्वामी विवेकानंद हों, महर्षि अरविंदो हों, गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर हों, ऐसे अनेक महापुरुष हिन्दुस्तान के हर कोने में, हर गांव में भारत की चेतना को जगाते रहे। भारत को चेतनमन बनाते रहे।