- ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वह पश्चिम बंगाल में संशोधित नागरिकता कानून लागू नहीं करेंगी
- इस मुद्दे पर बीजेपी से एक बार फिर उनकी ठन गई है, जिसके कई नेताओं ने कहा है इस नए कानून को हर किसी को मानना होगा
- इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ का रुख भी ममता सरकार से उलट नजर आ रहा है
कोलकाता : नागरिकता कानून में संशोधन के खिलाफ देशभर में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं, जिसकी तपिश पश्चिम बंगाल में भी महसूस की जा रही है। असम सहित पूर्वोत्तर के राज्यों में इस मुद्दे पर व्यापक विरोध-प्रदर्शन के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि वह नए कानून को यहां लागू नहीं करेंगी, लेकिन बीजेपी इसे लेकर लगातार तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ हमलावर है।
राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने भी साफ कर दिया है कि ममता सरकार को इसे पश्चिम बंगाल में लागू करना ही होगा और इसके अलावे उनके पास कोई विकल्प नहीं है। अब बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने पश्चिम बंगाल के हालात पर टिप्पणी करते हुए कहा है कि अगर इसी तरह जारी रहा तो यहां राष्ट्रपति शासन लागू करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचेगा।
उनकी यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ जारी उग्र प्रदर्शनों के बीच आई है, जहां प्रदर्शनकारियों ने न केवल कई सड़क मार्गों को अवरुद्ध कर दिया, बल्कि 15 बसों को भी आग लगा दी। यहां संकरैल रेलवे स्टेशन पर भी तोड़फोड़ की गई है। बीजेपी का आरोप है कि राज्य में सत्तारूढ़ टीएमसी की सरकार प्रदर्शनकारियों से सख्ती से पेश नहीं आ रही है।
पश्चिम बंगाल में नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच बीजेपी नेता राहुल सिन्हा ने कहा, 'टीएमसी के कारण राज्य जल रहा है और अगर यह इसी तरह जारी रहा तो यहां राष्ट्रपति शासन लागू करने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं रह जाएगा।' उन्होंने यह भी कहा, 'मुख्यमंत्री को पुलिस को यह संदेश देना चाहिए कि अगर प्रदर्शनकारी हिंसा करते देखे जाते हैं तो उन्हें गोली मार दी जाएगी।'
पश्चिम बंगाल में जारी हिंसक विरोध-प्रदर्शनों के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों से अपील की है कि वे हिंसा का सहारा न लें और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान न पहुंचाएं। उन्होंने लोगों से राज्य में शांति बनाए रखने की अपील भी की। बिगड़ते हालात को देखते हुए यहां रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती भी की गई है।