नई दिल्ली : बीजेपी के सांसद बीते कुछ समय से लगातार अपनी पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को कई मसलों पर घेरते आ रहे हैं। किसानों के मसले पर उनके कई बयान सामने आए हैं, जिसके बाद अब उन्होंने देशभर में बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों में कमी का मसला उठाते हुए सवालिया लहजे में कहा कि देश का नौजवान आखिर कब तक सब्र करे। बीते कुछ समय में आए उनके बयान सरकार की नीतियों के प्रति उनकी नाराजगी को साफ जाहिर करते हैं।
वरुण गांधी ने सरकारी नौकरियों की कमी का मसला गुरुवार को उठाया, जब एक ट्वीट में उन्होंने कहा, 'पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं है, फिर भी कुछ मौका आए तो पेपर लीक हो, परीक्षा दे दी तो सालों साल रिजल्ट नहीं, फिर किसी घोटाले में रद्द हो। रेलवे ग्रुप डी के सवा करोड़ नौजवान दो साल से परिणामों के इंतज़ार में हैं। सेना में भर्ती का भी वही हाल है। आखिर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान?' उन्होंने पेपर लीक मसले को भी उठाया और कहा कि युवाओं को निजी क्षेत्र से जोड़ने का कोई तंत्र नहीं है।
उठाया पेपर लीक का मसला
इस संबंध में उन्होंने एक बयान भी जारी किया, जिसमें उन्होंने कहा कि ग्रामीण भारत में औसत युवाओं के लिए रोजगार के अवसर आम तौर पर सरकारी नौकरियों तक ही सीमित रहते हैं। उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी ने कहा, 'लगभग हर क्षेत्र में पहले के मुकाबले सरकारी नौकरियों की संख्या कम है। ऐसे में युवाओं में कुंठा के भाव पैदा हो रहे हैं। पिछले दो वर्षों में सिर्फ उत्तर प्रदेश में परीक्षा पेपर लीक होने की वजह से 17 परीक्षाएं स्थगित की जा चुकी हैं और अभी तक इसमें शामिल किसी बड़े सिंडिकेट की पहचान नहीं की जा सकी है। युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ने का भी कोई तंत्र नहीं है।'
यहां उल्लेखनीय है कि वरुण गांधी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के पक्ष में बोलते रहे हैं। बाद में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की तो उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को लेकर आंदोलनरत किसानों के सुर में सुर मिलाते हुए कहा था कि राष्ट्रहित में सरकार को 'तत्काल' यह मांग मान लेनी चाहिए। उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा 'टेनी' के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भी लिखा था।