- बीरभूम हिंसा के साये में पश्चिम बंगाल में उप चुनाव हुए हैं। ऐसे में ममता बनर्जी के लिए इन चुनावों का संदेश बेहद अहम होगा।
- बिहार में भाजपा और राजद के प्रयोग का भी टेस्ट है।
- महाराष्ट्र में राजनीतिक खींचतान के बीच उप-चुनाव के नतीजे बेहद अहम होंगे।
By Election Results: बीरभूम हिंसा क्या पश्चिम बंगाल के उप चुनाव पर असर डालेगी, बिहार की बोचहा सीट, राज्य की राजनीति में भाजपा और आरजेडी में किसका कद बढ़ाएगी। यह ऐसे सवाल हैं, जिनका शनिवार को जवाब मिलेगा। चार राज्यों की 5 सीटों पर 12 अप्रैल को हुए चुनाव के नतीजे इन सवालों के जवाब देने के साथ पूर्व भाजपा और कांग्रेस के नेता शत्रुघ्न सिन्हा और भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे।
बीरभूम हिंसा के साए में 2 सीटों पर बंगाल में चुनाव
इन उप चुनावों में सबसे ज्यादा नजर बंगाल की एक लोकसभा सीट और एक विधानसभा सीट पर रहेगी। आसनसोल लोकसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस के टिकट से शत्रुघ्न सिन्हा चुनावी मैदान में हैं। यह सीट बाबुल सुप्रियो द्वारा सीट छोड़ने से खाली हुई थी। सुप्रियो भाजपा से लोकसभा सांसद थे। लेकिन अब वह तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर बालीगंज विधानसभा से उप-चुनाव लड़ रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए दोनों सीटों इसलिए बेहद अहम हैं क्योंकि यह चुनाव बीरभूम हिंसा के बाद वह निशाने पर हैं। बीते 21 मार्च को पश्चिम बंगाल के बीरभूम में रामपुरहाट पंचायत समिति के बड़साल ग्राम पंचायत के उप-प्रधान और टीएमसी नेता भादू शेख की अज्ञात लोगों ने हत्या कर दी थी। और उसके बाद कुछ लोगों ने कई घरों में आग लगा दी और इस हमले की वजह से 8 लोगों की जलने से मौत हो गई।
ममता बनर्जी के लिए बीरभूम हिंसा इसलिए भी बड़ी चुनौती बन गई है क्योंकि मृतकों में सभी लोग मुस्लिम समुदाय के हैं। और हत्या का आरोप टीएमसी कार्यकर्ताओं पर लगा था। आसनसोल संसदीय सीट मुस्लिम बहुल क्षेत्र हैं। जहां पर 35-40 फीसदी आबादी मुस्लिम समुदाय की है। ऐसे में चुनावों के पहले बीरभूम हिंसा और उसके बाद टीएमसी नेताओं के बयान नतीजों पर असर डाल सकता है।
शत्रुघ्न सिन्हा और बाबुल सुप्रियो का राजनीतिक भविष्य दांव पर
बंगाल के उप चुनावों में ममता बनर्जी के साथ-साथ शत्रुघ्न सिन्हा और बाबुल सुप्रियो के लिए बेहद अहम है। शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा से नाता तोड़ने के बाद एक अदद जीत के लिए तरस रहे हैं। पहले वह कांग्रेस में गए। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में पटना से हार के बाद वह अब आसनसोन पहुंच गए हैं। अगर यहां पर वह चुनाव नहीं जीतते हैं तो उनके राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठ जाएंगे। उनके खिलाफ भाजपा की अग्निमित्रा पॉल से है।
ऐसा ही हाल कुछ बाबुल सुप्रियो का है। भाजपा से सांसद और केंद्रीय मंत्री रह चुके सुप्रियो बंगाल विधानसभा चुनाव में भाजपा की हार के बाद तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं। भाजपा ने उनके खिलाफ केया घोष तो माकपा ने सायरा शाह हलीम को मैदान में उतारा है।
आसनसोल लोकसभा उपचुनाव: BJP ने शत्रुघ्न सिन्हा के खिलाफ अग्निमित्रा पॉल को उतारा
बिहार में भाजपा का दांव कितना मजबूत
बिहार में बेंचहा विधानसभा सीट के नतीजों पर सबकी नजर रहेगी। वजह यह है कि उप-चुनावों के पहले जिस तरह भाजपा ने विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी की पार्टी को तीनों विधायकों को भाजपा में शामिल कर उन्हें बड़ा झटका दिया। उसके बाद नतीजों से यह साफ हो जाएगा कि मुकेश सहनी अपनी पार्टी का अस्तित्व बचा पाएंगे या नहीं। क्योंकि अगर उनकी पार्टी की हार होती है, तो उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। असल में बेंचहा उप चुनाव में भाजपा के मना करने के बाद सहनी ने अपना प्रत्याशी मैदान में उतार दिया था। उसी के बाद न केवल उनके विधायक भाजपा में चले गए बल्कि सहनी को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा।
बीजेपी से बेबी कुमारी वीआईपी से डॉक्टर गीता और आरजेडी से अमर पासवान ,कांग्रेस से तरुण चौधरी उम्मीदवार है। तेजस्वी यादव ने भी अमर पासवान को मैदान में उतारकर नए राजनीतिक समीकरण बनाने की कोशिश की है। ऐसे में यह नतीजे बिहार की राजनीति पर बड़ा असर डाल सकते हैं।
छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में भी चुनाव
इसके अलावा महाराष्ट्र की कोल्हापुर उत्तर विधानसभा सीट और छत्तीसगढ़ की खैरागढ़ सीट के चुनावी नतीजे भी शनिवार को घोषित होंगे। कोल्हापुर उत्तर विधानसभा सीट पर मुख्य मुकाबला कांग्रेस के टिकट पर लड़ रही महाविकास आघाड़ी की उम्मीदवार जयश्री जाधव और भाजपा के सत्यजीत कदम के बीच है। जबकि छत्तीसगढ़ की खैरागढ़ सीट पर कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच लड़ाई है। इस सीट भाजपा ने एक बार फिर पूर्व विधायक कोमल जंघेल को जबकि कांग्रेस ने महिला उम्मीदवार यशोदा वर्मा पर भरोसा जताया है। इस चुनाव में खैरागढ़ सीट को जिला घोषित करना अहम मुद्दा है।