- शाहीन बाग फिर पहुंचे सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकार संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन
- डॉयलॉग 2.0 शुरू करने की अपील की, बोले- बातचीत ही समस्या सुलझाने का रास्ता
- समय और जगह का जिक्र करने पर जवाब आया नहीं, नहीं, नहीं
नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में शाहीन बाग में धरना अभी भी जारी है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने तीन बार प्रदर्शनकारियों से बातचीत की। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। एक बार फिर दोनों वार्ताकार शाहीन बाग पहुंचे और क्या कुछ कहा वो हम आपको बताते हैं।
साधना रामचंद्रन ने क्या कहा
हमें शाहीन बाग पर गर्व है, शहर ने हिंसा को देखा लेकिन यहां पर धरना शांति की गवाही पेश कर रहा था। यह एक लोकतांत्रिक विरोध है, हम सब इसके लिए कृतज्ञ है।जो भी कुछ आप लोग चाहते थे हम लोगों ने सुप्रीम कोर्ट को बता दिया है। आप लोग भी जानते हैं कि हाल ही में जिस तरह से शहर का माहौल खराब हुआ वो बातचीत के लिए सही नहीं थी। आइए हम एक बार फिर संवाद 2.0 शुरू करते हैं। सुप्रीम कोर्ट की भी यही इच्छा है कि हम लोग आप से बात करें। ये आप लोग ही है जिनके जरिए रास्ता निकलेगा।लेकिन फैसला ऐसा होनाचाहिए जो सबको मान्य हो। सवाल है यह कहां जारी रहे और कब तक। दरअसल साधना रामचंद्रन समय और जगह की बात कर रही थीं। लेकिन भीड़ से जवाब नहीं, नहीं नहीं का आया।
संजय हेगड़े ने क्या कहा
वो कहते हैं हम हिंदुस्तानी मिलकर इस समस्या का रास्ता निकालेंगे। उन्होंने कहा कि सभी तरह की लड़ाइयां अदालत तक नहीं जानी चाहिए। कुछ मामले इस तरह के होते हैं जिसका समाधान नागरिक खुद ब खुद निकाल सकते हैं। हमें यह देखना होगा कि बीच का रास्ता कैसे निकले। आप लोग लिखित में हमें समाधान दे दीजिए हम कोर्ट को सौंप देंगे।
हम किसी तरह का फैसला मानने के लिए आप पर दबाव नहीं बनाएंगे। हम यहां सरकार के नुमाइंदे नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर यहां आए है।इसके बाद हल्के अंदाज में वो कहते हैं कि यह पहली बार है जब एक मर्द को इतनी सारी औरतें एक साथ सुन रही हैं,. शायह ही मेरी घर पर सुनी गई होगी।
पिछले वर्ष दिसंबर से धरना जारी
शाहीन बाग में पिछले साल 14 दिसंबर से नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ धरने पर महिलाएं बैठीं जो आज भी जारी है। शाहीन बाग में एक तरफ का रास्ता बंद होने की वजह से लाखों की संख्या में लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। इस धरने के खिलाफ हाईकोर्ट के साथ साथ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार हर किसी को है। लेकिन रास्ता रोकने का अधिकार किसी को नहीं है। शाहीन बाग की समस्या का समाधान खोजने के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से वार्ताकार नियुक्त किए गए। लेकिन अभी हाथ कुछ खास नहीं लगा है।