- सेना में 10 साल तक काम कर चुके हैं कैप्टन अमरिंदर सिंह, लड़ चुके हैं 1965 की जंग
- कहा-विश्वास नहीं हो पा रहा है कि सैनिकों के पास हथियार थे और उन्होंने फायरिंग नहीं की
- गलवान घाटी में 15 जून की रात हुई हिंसा में एक कर्नल और 19 जवान शहीद हुए
नई दिल्ली : गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प के दौरान भारतीय जवानों की ओर से हथियार का इस्तेमाल नहीं किए जाने पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नाराजगी जाहिर की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि 'अपने कमांडिंग ऑफिसर को मारा जाता देख प्रत्येक सिपाही हथियार उठा लेगा और गोली चला देगा। मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि अपने पास हथियार रखने के बावजूद जवानों ने गोली नहीं चलाई।' कैप्टन ने आगे कहा कि 'चीन के सैनिकों के साथ सोमवार रात हुए खूनी संघर्ष के दौरान गोली चलाने की इजाजत नहीं देने वाले अधिकारी का कोर्ट मार्शल होना चाहिए।'
कमांडिंग ऑफिसर का हो कोर्ट मार्शल
पूर्व सैन्य कर्मी ने कहा कि उन्हें यह समझने में काफी मुश्किल हो रही है कि भारतीय सैनिकों के पास हथियार था लेकिन अपने कमांडिंग ऑफिसर को मारे जाता देख भी उन्होंने उन हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया। एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसा कि विदेश मंत्री का कहना है भारतीय सैनिकों के पास हथियार था तो उस अधिकारी का कोर्ट मार्शल करना चाहिए जो कर्नल की शाहदत के बाद कमान संभाली और जिसने चीनी सैनिकों पर गोली चलाने के आदेश नहीं दिए।
हथियार थे तो जवानों ने गोली क्यों नहीं चलाई
अमरिंदर सिंह ने कहा, 'चीनी सैनिकों के साथ संघर्ष के दौरान भारतीय सैनिकों के पास हथियार थे, पहला यह बयान 48 घंटे के बाद आया है। दूसरी चीज आप जब देख रहे हों कि आपका कमांडिंग ऑफिसर मारा जा रहा है तो प्रत्येक सिपाही अपना हथियार उठा लेगा और गोली चलाएगा। मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि सैनिकों के पास हथियार होने के बावजूद उन्होंने गोली नहीं चलाई।'
1965 की जंग लड़ चुके हैं कैप्टन
सेना में 10 साल तक सेवा करने वाले कैप्टन अमरिंदर ने 1965 की जंग की एक घटना को याद करते हुए कहा, 'मैं आपको बताता हूं कि साल 1965 की जंग में जब हमारे कर्नल मारे गए तो पूरी रेजिमेंट गुस्से में थी।' चीन के बॉर्डर पर तैनात रह चुके कैप्टन ने कहा कि सीमा की गश्ती पर जाते वक्त वे पूरी तरह से सशस्त्र होकर जाते थे।
भारत ने चीन को दिया है कड़ा संदेश
गलवानी घाटी में 15 जून की रात भारत और चीन के सैनिकों के बीच भीषण खूनी संघर्ष हुआ। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए। बताया जा रहा है कि इस हिंसा में चीन की तरफ के सैनिक भी हताहत हुए हैं लेकिन बीजिंग की तरफ से इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। भारत ने गलवान की हिंसा के लिए सीधे तौर पर चीन को जिम्मेदार ठहराया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को कड़ा संदेश देते हुए बुधवार को कहा कि भारत एक शांतिप्रिय देश है लेकिन उकसाए जाने पर वह मुंहतोड़ जवाब देने की क्षमता रखता है।