- यूपी पावर कॉरपोरेशन के कर्मचारियों के पीएफ घोटाले में सीबीआई ने दर्ज की पहली एफआईआर
- पीके गुप्ता और सुधांशु द्विवेदी को बनाया गया है मुख्य आरोपी
- सीबीआई ने आईपीसी की धारा 409, 420, 467 और 471 की संगीन धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड में भविष्य निधि (पीएफ) घोटाला सामने आने के बाद योगी सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए इसे सीबीआई को सौंप दिया था। अब इस मामले में सीबीआई द्वारा पहली एफआईआर दर्ज हो गई है जिसमें पीके गुप्ता और सुधांशु द्विवेदी को आरोपी बनाया गया है। यह घोटाला करीब 2 हजार करोड़ रुपये से अधिक का बताया जा रहा है।
ऐसे हुआ था घोटाला
इससे पहले प्रदेश में इसकी जांच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा भी की जा रही थी। इस घोटाले में सरकारी कर्मियों की पीएफ की धनराशि को प्राइवेट कंपनी डीएचएफसीएल में निवेश किया गया था। बाद में जब डीएचएफसीएल की हालत खस्ता हो गई तो प्रदेश में हंगामा मच गया। ईओडब्ल्यू द्वारा इस मामले में यूपीपीसीएल के तत्कालीन मैनेजिंग डायरेक्टर सहित लगभग 15 से ज्यादा अधिकारियों/कर्माचारियों को अरेस्ट कर जेल भेज दिया गया है। इस मामले में सरकार के आदेश के बाद नवंबर 2019 में पहली एफआईआर दर्ज की गई थी। दरअसल घोटाले में फर्जी कंपनियों के जरिए करोड़ों रुपये के वारे-न्यारे किए गए थे।
सीबीआई ने पहला मामला किया दर्ज
सीबीआई ने आईपीसी की धारा 409, 420, 467 और 471 की संगीन धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की है। यह एफआईआर लखनऊ के हजरतगंज पुलिस थाने में दर्ज की गई है। सीबीआई जल्द ही इओडब्ल्यू से दस्तावेज लेगी। घोटाले में सीबीआई द्वारा एफआईआर दर्ज किये जाने के बाद भाजपा प्रवक्ता डॉ. चंद्रमोहन ने पीएफ घोटाले में सीबीआई द्वारा एफआईर दर्ज किए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि योगी राज में भ्रष्टाचारियों के लिए कोई जगह नहीं हैं।
बीजेपी बोली- जीरो टॉलरेंस
उन्होंने कहा, 'सरकार के तीन साल के कार्यकाल में अबतक 700 से ज्यादा अधिकारियों को बर्खास्त किया जा चुका है। 100 से ज्यादा अधिकारी अब तक जेल भेजे जा चुके हैं। सरकार की नीति साफ है जिसने भ्रष्टाचार किया है उसकी जगह केवल और केवल जेल की काल कोठरी ही है। सीबीआई की जांच से पूर्ववर्ती सरकार के गलत कृत्यों से परदा भी उठेगा कि किस तरह से अपने निजी स्वार्थ के लिए सरकारी कर्मचारियों के पैसे को दांव पर लगाकर निजी हाथों में सौंप दिया गया था।'